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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विवेकानंद द्वारा प्रतिपादित एकता, अतीत के प्रति गर्व और लक्ष्य की भावना ने भारत के राष्ट्रवादी आंदोलन को बहुत अधिक मज़बूत बनाया। विवेचना कीजिये।

    08 Jun, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • स्वामी विवेकानंद का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • भारत की जागृति में स्वामी विवेकानंद के विभिन्न योगदानों की चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    असंख्य भाषाई, जातीय, ऐतिहासिक और क्षेत्रीय विविधताओं के बावजूद भारत में अनादि काल से सांस्कृतिक एकता की प्रबल भावना विद्यमान रही है।

    हालाँकि स्वामी विवेकानंद ने ही इस संस्कृति की वास्तविक नींव को प्रकट किया और इस तरह एक राष्ट्र के रूप में एकता की भावना को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने के साथ-साथ इसे मज़बूती प्रदान की।

    भारत की जागृति में विवेकानंद का योगदान

    • स्वामी विवेकानंद भारत के पहले धार्मिक नेता थे जिन्होंने यह समझा और खुले तौर पर घोषणा की कि भारत के पतन का वास्तविक कारण जनता की उपेक्षा थी।
    • उनके अनुसार जनता को दो प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता थी- अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार के लिये धर्मनिरपेक्ष ज्ञान और अपने आप में विश्वास एवं नैतिक भावना को मज़बूत करने के लिये आध्यात्मिक ज्ञान।
    • स्वामी विवेकानंद ने हमारी मातृभूमि के उत्थान के लिये शिक्षा पर सबसे अधिक ज़ोर दिया। उनका मानना था कि एक राष्ट्र उसी अनुपात में उन्नत होता है जिस अनुपात में शिक्षा जनता के बीच प्रसारित होती है।
    • उन्होंने वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया तथा 19वीं सदी के अंत में हिंदू धर्म को विश्व मंच पर लाने के लिये अंतर-जागरूकता बढ़ाने का श्रेय भी इन्हें ही दिया जाता है।
    • यद्यपि राष्ट्रवाद की भावना में वृद्धि का श्रेय पश्चिमी प्रभाव को जाता है लेकिन स्वामी विवेकानंद का राष्ट्रवाद भारतीय आध्यात्मिकता और नैतिकता में गहराई से निहित है।
      • उनका राष्ट्रवाद, मानवतावाद और सार्वभौमिकता पर आधारित है, जो भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं।

    निष्कर्ष

    भारत के जागरण में स्वामी विवेकानंद के योगदान को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लेखन में परिलक्षित किया जा सकता है जिसमें कहा गया था कि "स्वामीजी ने पूर्व और पश्चिम, धर्म और विज्ञान, अतीत और वर्तमान में सामंजस्य स्थापित किया, इसलिये वह महान हैं। उनकी शिक्षाओं से हमारे देशवासियों को अभूतपूर्व स्वाभिमान, आत्मनिर्भरता और आत्मबल प्राप्त हुआ है।

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