क्या आर्थिक विकास और सामाजिक विकास के बीच संतुलन हेतु 'प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण' फिर से 'प्राथमिकता' सूची में शामिल की जा सकती है?
उत्तर :
दृष्टिकोण
- सार्वजनिक क्षेत्र का ऋण (PSL) क्या है, इसकी संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- PSL की समीक्षा करने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
सार्वजनिक क्षेत्र के ऋण के तहत आरबीआई बैंकों को पाॅंच क्षेत्रों- आवास, निर्यात ऋण, शिक्षा, सामाजिक बुनियादी ढाॅंचा एवं नवीकरणीय ऊर्जा आदि में अपने धन का एक निश्चित हिस्सा (उनके समायोजित नेट बैंक क्रेडिट (एएनडीसी) का 40%) ऋण के रूप में देने के लिये बाध्य करता है। हालाँकि पीएसएल से संबंधित कई मुद्दे हैं जो संशोधन की मांग करते हैं।
पीएसएल के साथ जुड़े मुद्दे
- एनपीए का बढ़ता बोझ: बदलाव के बावजूद आज तक कृषि और लघु उद्योगों (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों या एमएसएमई के रूप में परिभाषित) क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है।
- PSL में शामिल क्षेत्रों को ऋण देने वाले बैंकों के पास उनके ऋण पोर्टफोलियो में दो अंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाॅं (एनपीए) हैं। इस कारण यह क्षेत्र उनके लिये आर्थिक रूप से कम व्यवहारिक हो गया है।
- इसके अलावा बैंकों को एनपीए के कारण प्रावधान पूंजी के लिये अलग से प्रावधान करना पड़ता है। इससे बैंकों की लाभप्रदता कम होती है।
- नैतिक जोखिम की समस्या: एनपीए की उच्च संभावना वाले इस उधारकर्ता वर्ग को ऋण देने से बैंक प्रबंधकों के लिये भ्रष्टाचार के अवसर पैदा होते हैं अतः ऋण लेने वाले ग्राहकों/ लाभार्थियों के लिये नैतिक दायित्व उत्पन्न हो जाता हैं।
- बैंकों का आर्थिक बोझ: PSL उत्पादक क्षेत्रों से धन को दूसरे अनुत्पादक क्षेत्रों में निवेश करने पर मजबूर करता है। ऋण हानियों और भुगतान चूक के रूप में अलग से पूंजी का प्रावधान करने के कारण बैंकों पर आर्थिक बोझ डालता है।
- कैपिंग मुद्दे: शैक्षिक बुनियादी ढाॅंचे की बेहद कम क्रेडिट सीमा, ₹5 करोड़, है। इसके अलावा स्वास्थ्य, जो सामाजिक बुनियादी ढाॅंचे की एक उप-श्रेणी है, में अस्पतालों के निर्माण के लिये सीमा ₹10 करोड़ है।
आगे की राह
- PSL से अनुदान: PSL के कुछ हिस्से को सीधे सरकार द्वारा भुगतान किये गए अनुदान में परिवर्तित करने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मूल्यांकन में वृद्धि हो सकती है एवं दक्षता में भी बढ़ोतरी होगी।
- सामाजिक विकास के लिये JAM का लाभ उठाना: JAM के पूर्ण उपयोग (जन धन खातों तक पूर्ण पहुॅंच, सार्वभौमिक आधार संख्या एवं मोबाइल तक पहुॅंच) से उन मुद्दों का समाधान कर सकती हैं जिन मुद्दों का समाधान PSL वाले क्षेत्र नहीं कर सकते हैं। उदाहरण के लिये JAM प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के कामकाज को संस्थागत रूप दे सकता है।
- सामाजिक बुनियादी ढाॅंचा का बढ़ता कोटा: कोविड-19 ने हमें अतीत की कई चीजों की फिर से जाॅंच करने पर मजबूर कर दिया है। अत: सामाजिक बुनियादी ढाॅंचे के गठन को प्राथमिकता देने के लिये PSL का पुनर्गठन किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
'प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रदान करने की योजना (लक्ष्यों और उप-लक्ष्यों का निर्धारण कर) को कई पहलुओं (जैसे- बैंक के प्रकार, अलग-अलग क्षेत्रों में उनके शाखाओं की उपलब्धता और किसी विशेष क्षेत्र को उधार देने के लिये बैंक की इच्छा) को ध्यान में रखते हुए संयोजित करना चाहिये।