वर्तमान अमेरिकी विदेश नीति में पश्चिम एशिया एवं दक्षिण एशिया के बजाय एशिया-प्रशांत प्राथमिक क्षेत्र बन गया है। इस बदलाव के विभिन्न कारणों का उल्लेख करते हुए इस संबंध में अमेरिका के लिये भारत के महत्त्व पर चर्चा करें।
31 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उत्तर की रूपरेखा
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वर्तमान समय में अमेरिका, चीन के उभार को प्रतिसंतुलित करने के लिये पश्चिम एशिया तथा दक्षिण एशिया के बजाय एशिया-प्रशांत क्षेत्र को प्राथमिकता दे रहा है। अमेरिका के लिये एशिया-प्रशांत का महत्त्व इसलिये भी है कि यह वर्तमान में विश्व के आर्थिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। अमेरिका की एशिया केंद्रित नीति के मूल स्तंभ हैं-
अमेरिका की एशिया केंद्रित नीति में भारत का महत्त्व-
दक्षिण-पूर्वी एशिया शीत युद्धोत्तर काल में भारत और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के मध्य संबंधों में तीव्र गति से वृद्धि हुई। वर्तमान में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका एक-दूसरे के सहयोगी बनकर उभर रहे हैं। अमेरिका के साथ-साथ जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित कर चुके हैं। अमेरिका ने पूर्वी एशियाई क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है, क्योंकि इस क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव अमेरिकी हितों के प्रतिकूल है। भारत भी पूर्वी एशिया के देशों के साथ अपने संबंधों को मज़बूती प्रदान करने के लिये ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पर कार्य कर रहा है। साथ ही भारत के जापान, दक्षिण कोरिया एवं वियतनाम जैसे देशों के साथ सामरिक संबंध भी प्रगाढ़ हो रहे हैं।
अमेरिका की एशिया केंद्रित नीति में भारत को केंद्रीय महत्त्व प्रदान किया गया है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के बीच संबंध अत्यधिक मधुर हो रहे हैं। भारत भी हिंद महासागर में अमेरिका के साथ अपना सहयोग बढ़ा रहा है।