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प्रश्न :
कोविड -19 महामारी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की उपस्थिति को कम करने और निजी क्षेत्र के लिये नए निवेश स्थान बनाने की सरकार की नीति पर बहस को भी पुनर्जीवित कर दिया है। चर्चा कीजिये।
24 May, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
दृष्टिकोण
- महामारी के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा निभाई गई भूमिका के संदर्भ में संक्षेप में चर्चा करके उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- वर्तमान समय में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय
कोविड -19 महामारी के जवाब में इस्पात, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्रों के कई सार्वजनिक उपक्रमों ने तरल चिकित्सा ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के साथ-साथ इसके परिवहन व सरकार के प्रयासों को पूरा करने में मदद की है।
सरकार ने घोषणा की है कि वह मिशन COVID सुरक्षा के तहत Covaxin के निर्माण हेतु विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के लिये तीन सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSE) का उपयोग करेगी।
इन घटनाक्रमों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की उपस्थिति को कम करने और निजी क्षेत्र के लिये नए निवेश स्थान बनाने की सरकार की नीति पर बहस को भी पुनर्जीवित कर दिया है।
वर्तमान समय में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की प्रासंगिकता
- भारत अभी तक एक विकसित अर्थव्यवस्था नहीं: ऐतिहासिक रूप से सार्वजनिक उपक्रमों ने अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उद्योगों के लिये भी एक मज़बूत बुनियादी ढाँचा आधार प्रदान किया है।
- इसके अलावा सार्वजनिक उपक्रमों को सामाजिक-आर्थिक निष्पक्षता के साथ स्थापित किया गया था और यह केवल लाभ पर आधारित नहीं थे, जिसने अर्थव्यवस्था के लिये एक सही प्रकार का बुनियादी ढाँचा तैयार किया।
- इसलिये सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित नीति पर शायद फिर से विचार करने की आवश्यकता है।
- रोज़गार सृजन: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को औपचारिक क्षेत्र में रोज़गार उत्पन्न करने वालों में से एक माना जाता है जो सुरक्षित और लाभकारी रोज़गार प्रदान करते हैं।
- संपत्ति का निर्माण: स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती दशकों में राष्ट्रीय संपत्ति के निर्माण में सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है, खासकर उन क्षेत्रों में जिन्हें निजी क्षेत्र द्वारा निवेश पर उच्च जोखिम और कम रिटर्न के रूप में माना जाता है।
- वैश्विक पदचिह्न का विस्तार: भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम पहले से ही मध्य पूर्व, अफ्रीका, यूरोप, एशिया, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अमेरिका जैसे क्षेत्रों में दुनिया भर में मौजूद हैं तथा भारतीय CPSEs and PSEs के लिये अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार करने की जबरदस्त संभावना है।
निष्कर्ष
माना कि अर्थव्यवस्था के विकास में निजी क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने जो योगदान दिया है, उसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है, खासकर आज के कठिन समय में। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने बार-बार देश के विकास में अपना लोहा मनवाया है अतः इनकी भूमिका को सीमित करने की योजना पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
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