उत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- प्रभावी भूमिका में चुनाव सुधारों के महत्त्व को स्पष्ट करें।
- तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में इसके लिये गठित प्रमुख समितियों की सिफारिशों पर विचार करें।
- प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।
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स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिये सुशासन की अनिवार्य अवधारणाओं में शामिल है। भारत में चुनाव प्रणाली को महत्त्व प्रदान करते हुए इसमें सुधार हेतु समय-समय पर कई समितियों का गठन किया गया। तारकुंडे समिति, दिनेश गोस्वामी समिति, इंद्रजीत गुप्त समिति तथा के. संथानम समिति चुनाव सुधार के लिये लाए गए कुछ प्रमुख समितियों के उदाहरण है। इनकी प्रमुख सिफारिशों को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है।
तारकुंडे समिति की सिफारिशें-
- वयस्क मताधिकार की आयु को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष करना। इसे संविधान के 61 वें संशोधन द्वारा मूर्त स्वरूप प्रदान किया गया।
- निर्वाचन के लिये अधिकतम व्यय योग्य राशि का निर्धारण करना।
- राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों के चुनाव व्यय का लेखा-जोखा निर्वाचन आयोग के सामने प्रस्तुत करें।
- चुनाव प्रत्याशी एक निश्चित नामांकन राशि जमा करें।
- किंतु इस सिफारिश में बूथ कैप्चरिंग तथा बोगस वोटिंग जैसी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया। इसी संदर्भ में दिनेश गोस्वामी समिति गठित की गई।
दिनेश गोस्वामी समिति की सिफारिशें-
- अवैध रूप से लूटे गए बूथों पर फिर से मतदान की व्यवस्था हो।
- मतदान के लिये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग किया जाए।
- बोगस मतदान की समस्या से बचने के लिये मतदाता फोटो पहचान पत्र की व्यवस्था की जाए।
- निर्वाचन से संबंधित याचिका की शीघ्र सुनवाई की जाए।
- यदि केंद्रीय या राज्य स्तर के सदन का कोई स्थान खाली हो जाए तो 6 माह के अंदर निर्वाचन की व्यवस्था की जाए।
- इस समिति की सिफारिशों से बूथ कैप्चरिंग तथा बोगस वोटिंग जैसी समस्याओं का समाधान हुआ। किंतु अभी भी चुनाव व्यय से संबंधित समस्या विद्यमान थी, इस संदर्भ में इंद्रजीत गुप्त समिति का गठन किया गया।
इंद्रजीत गुप्त समिति की सिफारिशें-
- लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव का व्यय सरकार द्वारा वहन किया जाए।
- ऐसे प्रत्याशी जो अपना वार्षिक आयकर रिटर्न दाखिल करने में असफल हैं, को चुनावों में आर्थिक सहायता न दी जाए।
- 10,000 से अधिक चंदे की राशि ड्राफ्ट अथवा चेक के माध्यम से प्रदान किये जाने की व्यवस्था हो।
- इंद्रजीत गुप्त समिति के बाद चुनाव सुधारों के लिये के. संथानम समिति का गठन हुआ।
के. संथानम समिति की सिफारिशें-
- निर्वाचन में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के लिये न्यूनतम अहर्ता की व्यवस्था हो।
- सभी राजनीतिक दलों का निबंधन हो।
- समय-समय पर निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाए।
- निर्वाचन मंडलों के अंदर आने वाले नागरिकों की नामावली को अद्यतन बनाया जाए।
इन समितियों के कई सुझावों को भारतीय चुनाव प्रणाली में स्वीकार किया गया जिससे भारत में चुनाव की प्रक्रिया अधिक विश्वसनीय तथा पारदर्शी हुई।