"शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन" का लक्ष्य प्राप्त करने के संदर्भ में वैश्विक सर्वसम्मति प्राप्त करने हेतु किये जा रहे प्रयासों के क्रम में भारत को सबसे पहले अपने जीवाश्म ईंधन बास्केट को "हरित ईंधन बास्केट" के रूप में परिवर्तित करना होगा। विवेचना कीजिये।
उत्तर :
दृष्टिकोण
- शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्यों के संदर्भ का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- प्राकृतिक गैस भारत के लिए एक उपयुक्त संक्रमण विकल्प के रूप में कैसे कार्य कर सकती है, चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय
हाल ही में, लगभग सभी देशों ने शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य तक पहुँचने के संदर्भ में अपने रोडमैप प्रस्तुत किये हैं। हालाँकि शुद्ध शून्य उत्सर्जन एक झटके में नहीं होगा बल्कि इसके लिए जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा हेतु एक उचित संक्रमण की आवश्यकता होगी।
इस संदर्भ में, प्राकृतिक गैस एक उपयुक्त संक्रमण ईंधन के रूप में कार्य कर सकती है जो विकास को हरित रखते हुए विकास हेतु ऊर्जा प्रदान कर सकती है।
प्राकृतिक गैस: भारत के लिये एक बेहतर विकल्प
- वैविध्यपूर्ण और प्रचुरता: प्राकृतिक गैस के कई उपयोग हैं और यह सभी जीवाश्म ईंधनों में "सबसे नया " है। इसके अलावा, यह भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
- सरल संक्रमण ऊर्जा विकल्प: प्राकृतिक गैस का उपयोग एक व्यवहार्य संभावना है क्योंकि यह कोयला खदानों को बंद करने पर विपरीत परिस्थितियाँ उत्पन्न नहीं होने देगी।
- इसके अलावा, उद्योगों को अपनी प्रणाली के पुनः स्थापन में भारी निवेश करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- इसके अलावा, यह सरकार द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित किये बिना सभी को सुरक्षित और सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के उद्देश्य को पूरा करने में मदद करेगी।
- जीवाश्म ईंधन का अतिरिक्त उपयोग: ऊर्जा बास्केट में जीवाश्म ईंधन की औसत वैश्विक हिस्सेदारी 84% है जो भारत के लिये और भी अधिक है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है।
- कोयले और तेल पर निर्भरता को कम किये जाने की आवश्यकता है तथा इसके लिये कोयले और तेल के स्थान पर प्राकृतिक गैस को अधिक-से-अधिक उपयोग में लाना होगा।
निष्कर्ष
- इस लक्ष्य की प्राप्ति के संदर्भ में वैश्विक सर्वसम्मति प्राप्त करने हेतु किये जा रहे प्रयासों के क्रम में भारत को सबसे पहले अपने जीवाश्म ईंधन बास्केट को "हरित ईंधन बास्केट" के रूप में परिवर्तित करना होगा। ऊर्जा उपयोग में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को बढ़ाकर यह कार्य किया जा सकता है।
- यद्यपि प्राकृतिक गैस अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस मूल्य शृंखला के सभी क्षेत्रों- उत्पादन (घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय) से बाज़ारों (वर्तमान एवं उभरते हुए) तक परिवहन (पाइपलाइन एवं एलएनजी) और वाणिज्यिक (मूल्य निर्धारण, कराधान) तथा विनियामक मुद्दों के संदर्भ में नीतिगत सुधार किये जाने की आवश्यकता है।