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प्रश्न :
नमामि गंगे परियोजना, गंगा नदी को साफ करने हेतु सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। भारत की अन्य नदियों में प्रदूषण से निपटने के लिये भी इसका अनुकरण किया जाना चाहिये। टिप्पणी कीजिये
07 May, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
दृष्टिकोण
- नमामि गंगे परियोजना के शुभारंभ के संदर्भ का उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये ।
- नमामि गंगे परियोजना द्वारा निभाई गई भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये ।
परिचय
समय के साथ, जनसंख्या में वृद्धि, अनियमित औद्योगीकरण और अस्थिर कृषि पद्धतियों के साथ, गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषकों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
गंगा नदी में प्रदूषण को कम करने की खोज में, भारत सरकार ने नमामि गंगे नामक प्रमुख कार्यक्रम शुरू किया है। कार्यक्रम में सार्वजनिक नीति, प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप और सामुदायिक भागीदारी के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है।
नमामि गंगे परियोजना द्वारा निभाई गई भूमिका
- सहकारी संघवाद: नमामि गंगे योजना को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा,राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (एसपीएमजी) के साथ कार्यान्वित किया जाता है।
- मुख्य स्तंभ: नमामि गंगे के मुख्य स्तंभों को निम्नलिखित के रूप में दर्शाया जा सकता है:
- सीवरेज ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल एफ्लुएंट मॉनिटरिंग।
- नदी के किनारे के साथ-साथ नदी की सतह की सफाई का विकास।
- जैव-विविधता और वनीकरण।
- जन जागरण।
- सार्वजनिक नीति: वर्ष 2016 में सरकार ने राष्ट्रीय गंगा स्वच्छ मिशन (एनएमसीजी) को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करने के लिये अधिकृत करते हुए अधिसूचना जारी की।
- एनएमसीजी ने नदी तटों पर खनन गतिविधियों को नियंत्रित करने, अतिक्रमण को रोकने और मूर्तियों के विसर्जन जैसी गतिविधियों को विनियमित करने के निर्देश भी जारी किये।
- प्रौद्योगिकी का प्रयोग: एनएमसीजी ने उपग्रह इमेज़री, रिमोट सेंसिंग और भू-स्थानिक समाधान जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाया है, जिससे वास्तविक समय में गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषकों की निगरानी की जा सकती है।
- सीवेज उपचार हेतु नए बुनियादी ढाॅंचे को डिजाइन करने के लिये वैज्ञानिकों ने पूर्वानुमानित मॉडल तैयार किये हैं।
- सामुदायिक भागीदारी: गंगा नदी की सफाई हेतु सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये गंगा तट पर बसे शहरों, गाॅंवों एवं कस्बों में "गंगा प्रहरी" नामक नव-स्थापित समुदाय समूह के माध्यम से जागरुकता अभियान नियमित रूप से चलाया जा जा रहा है। उनके माध्यम से, सरकार "जल चेतना" को "जन चेतना" एवं पुनः इसे "जल आंदोलन" में बदल सकती है।
निष्कर्ष
भारत का संविधान, केंद्र और राज्य सरकारों को इसके नागरिकों के लिये स्वच्छ तथा स्वस्थ वातावरण एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का प्रावधान करता है। (अनुच्छेद 48A, अनुच्छेद 51 (A) (g), अनुच्छेद 21)। साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने घोषणा की है कि स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
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