भारतीय मानसून सबसे जटिल भू-भौतिकीय घटनाओं में से एक बना हुआ है। इस कथन के आलोक में भारतीय मानसून के आरंभ की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिये।
उत्तर :
दृष्टिकोण:
- भारतीय मानसून की घटना का संक्षेप में वर्णन करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारतीय मानसून की शुरुआत की प्रक्रिया बताइये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय
- भारतीय मानसून को पवनों के मौसमी उलटफेर के रूप में वर्णित किया जा सकता है। भारतीय मानसूनी हवाएँ गर्मी के दौरान समुद्र से भूमि की ओर तथा सर्दियों के दौरान भूमि से समुद्र की ओर चलती है।
- भारतीय मानसून की प्रक्रिया को दो चरणों में समझा जा सकता है, दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत और मानसून का निवर्तन।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत:
- तापमान में अंतर: भूमि और पानी के ऊष्मण और शीतलन में अंतर भारत के भू-भाग पर कम दबाव और हिंद महासागर क्षेत्र पर उच्च दबाव बनाता है।
- ITCZ का स्थानांतरण: इससे गंगा के मैदान पर गर्मियों में इंटर-ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन (ITCZ) की स्थिति में बदलाव होता है। इस स्थिति में ITCZ को अक्सर मानसून द्रोणी कहा जाता है।
- हवाओं का झुकना: दक्षिणी गोलार्द्ध की दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें भूमध्य रेखा को पार करती हैं और कोरिओलिस बल के प्रभाव में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में बहने लगती हैं।
- जैसे ही ये पवनें गर्म हिंद महासागर की ओर बहती हैं, वे नमी ग्रहण करती हैं।
- पश्चिमी जेट स्ट्रीम की वापसी: ITCZ की स्थिति में बदलाव का संबंध पश्चिम भारतीय मैदान व हिमालय के दक्षिण में पश्चिमी जेट स्ट्रीम की स्थिति में बदलाव की घटना से भी संबंधित है।
- पूर्वी जेट स्ट्रीम की शुरुआत: पश्चिमी जेट स्ट्रीम के इस क्षेत्र से हटने के बाद ही पूर्वी जेट जेट स्ट्रीम (सोमाली जेट) 15°N अक्षांश में स्थापित हो जाती है।
- इस जेट स्ट्रीम को भारत में मानसून के आगमन के लिये ज़िम्मेदार माना जाता है। जैसे ही ये पवनें भूमि के पास पहुँचती हैं, उनकी दक्षिण-पश्चिमी दिशा उत्तर पश्चिमी भारत पर कम उष्मीय दबाव द्वारा संशोधित हो जाती है।
मानसून को शाखाओं में विभाजित करना: मानसून का आगमन भारतीय भूभाग में दो शाखाओं से होता है:
- अरब सागर शाखा: मानसूनी हवाएँ अरब सागर में उत्पन्न होती हैं।
- बंगाल की खाड़ी की शाखा: म्याँमार के तट के साथ अराकान पहाड़ियाँइस शाखा के एक बड़े हिस्से को भारतीय उपमहाद्वीप की ओर भेजती है।
निष्कर्ष
- इन दो शाखाओं के चलते ही एक शाखा अरब सागर की तरफ से मुंबई, गुजरात एवं राजस्थान होते हुए आगे बढ़ती है तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर होते हुए हिमालय से टकराकर गंगीय क्षेत्रों की ओर मुड़ जाती है और इस प्रकार जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में अत्यधिक वर्षा होने लगती है।
- यह भारत में एक बड़ी भूमिका निभाता है और इसमें सामाजिक तथा राजनीतिक के साथ ही आर्थिक निहितार्थ भी हैं।