महासागरीय अम्लीकरण (Ocean Acidification) से आप क्या समझते हैं। यह प्रवाल भित्तियों को किस प्रकार प्रभावित करता है, हाल ही में प्रवाल भित्तियों को संरक्षण के लिए किये जा रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की चर्चा करें।
09 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
उत्तर की रूपरेखा:
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महासागरीय अम्लीकरण को महासागर के पानी के pH स्तर में आ रही निरंतर कमी के रूप में परिभाषित किया जाता है। महासागरों में प्रवेश करने के बाद कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ घुलकर कार्बनिक अम्ल का निर्माण करती है। जिससे महासागर की अम्लता बढ़ जाती है और समुद्र के पानी का pH स्तर कम हो जाता है। महासागर द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन द्वारा उत्पन्न जलवायु परिवर्तन प्रभाव को कम करने में मदद करता है, लेकिन कम pH स्तर समुद्री परिस्थितिकी तंत्र और खाद्य शृंखला पर बहुत नकारात्मक प्रभाव डालता है।
कोरल, इचिनोडर्म जैसे समुद्री जीवों को वह गंभीर रूप से प्रभावित करता है क्योंकि इससे कैल्शियम की विघटन दर में वृद्धि होती है। यह अम्लीकरण प्रवाल को प्रभावित करता है क्योंकि, कैल्शियम प्रवाल जीवों को उनके कठोर कंकाल को निर्मित करने से रोकता है।
ऑस्ट्रेलिया में साउथ क्रॉस सहित कई संस्थान के वैज्ञानिकों ने प्रशांत और अटलांटिक महासागरों के पाँच प्रवालों में 57 स्थानों पर तलछट विघटन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि अम्लीकरण और तलछट विघटन के मध्य संबंध प्रवाल गठन और अम्लीकरण की तुलना में अधिक मजबूत है। उनके अनुसार 2050 तक प्रवाल तलछट घुलने शुरू हो जाएंगें और 2080 तक इनके निर्माण की तुलना में इनके विघटन की दर अधिक होगी।
उपरोक्त समस्या से निपटने के लिए निम्न प्रयास अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किये जा रहे हैं-