विश्व भर में महासागरीय धाराओं की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये।
14 Apr, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
हल करने का दृष्टिकोण
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परिचय
समुद्र में जल की निरंतर गति को ही महासागरीय धाराएँ कहते हैं जो समुद्र में निर्धारित मार्ग और नदियों के प्रकार का अनुसरण करती हैं। समुद्र में धाराओं की दो प्रणालियाँ संचालित होती हैं, पहली प्रणाली को सतही परिसंचरण कहते हैं जो समुद्र की ऊपरी परतों से संबंधित होता है और दूसरा गहरा संचरण होता है जो गहरे समुद्र तल से संबंधित होता है।
महासागरीय धाराएँ हवा, तापमान और लवण में अंतर, पानी के द्रव्यमान में घनत्व अंतर,गुरुत्वाकर्षण और भूकंप या तूफान जैसी घटनाओं के कारण उत्पन्न हो सकती हैं।
गुरुत्वाकर्षण: समुद्र में सतह की धाराएँ वैश्विक पवन प्रणालियों द्वारा संचालित होती हैं जो सूर्य से प्राप्त ऊर्जा द्वारा संचालित होती हैं। इसके अलावा, पृथ्वी के घूर्णन से उत्पन्न कोरिओलिस बल भी धाराओं को प्रभावित करता है।
भूमंडलीय पवनें:
घनत्व में अंतर: थर्मोहैलाइन परिसंचरण के रूप में ज्ञात प्रक्रिया के माध्यम से तापमान (थर्मो) और लवणता (हैलाइन) में अंतर के कारण पानी के द्रव्यमान में उत्पन्न घनत्व अंतर के चलते भी धाराएँ उत्पन्न होती हैं।
समसामयिक घटनाएँ: विशाल तूफान और पानी के नीचे भूकंप जैसी भूगर्भीय घटनाएँ शक्तिशाली समुद्री धाराओं को भी गति प्रदान कर सकती हैं, जब वे उथले पानी और समुद्र तट पर पहुँचती हैं, तो अंतर्देशीय जल को बड़े पैमाने पर संचालित करती हैं।
स्थलाकृति: जब धाराएँ एक विस्तृत क्षेत्र से एक संकीर्ण क्षेत्र तक सीमित हो जाती हैं तो ये बहुत शक्तिशाली हो सकती हैं।
निष्कर्ष
महासागरीय धाराएँ वैश्विक कन्वेयर बेल्ट के रूप में कार्य करती हैं और इस प्रकार पृथ्वी के कई क्षेत्रों की जलवायु को निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं।