“अज्ञेय ने ‘असाध्य वीणा’ कविता में अनेक मिथकों के माध्यम से अभीष्ट एवं सार्थक बिंबों का सृजन किया है।” अज्ञेय की काव्य-कला के सदंर्भ में विचार कीजिये।
04 Apr, 2021 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य
हल करने का दृष्टिकोण:
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‘असाध्य वीणा’ कविता की कथा का आधार जापान में प्रचलित एक लोक कथा है जिसका संकलन ‘ओकाकुरा’ की पुस्तक ‘Taming of the harp’ से किया गया है। इस कथा के अनुसार, एक जादूगर ने ‘किरीट’ नामक विशाल वृक्ष से एक वीणा बनाई। जापान के सम्राट ने इस वीणा को संभाल कर रखा। कई कलावंतों के प्रयास के बाद अंत में वीणाकारों के राजकुमार ‘पीवो’ ने अपनी साधना द्वारा उस वीणा को बजाया।
यह एक बौद्ध मिथक पर आधारित कविता है जिसके माध्यम से अज्ञेय ने सार्थक बिंबों का सृजन किया है। नई कविता में बिंबों को काफी महत्त्वपूर्ण माना गया है। हिंदी कविता में अज्ञेय की विशिष्ट पहचान का एक कारण उनकी सही बिंब योजना है और असाध्य वीणा इस धरातल पर उनकी सर्वाधिक सशक्त कृति है।
किरीटी-तरू और प्रियंवद के संबंध के लिये पिता-पुत्र तथा वीणा एवं प्रियंवद के संबंध के लिये माता-पुत्र संबंध का बिंब रचा गया है। इसी प्रकार उन्होंने पति-पत्नी के अनन्य प्रेम के लिये मेघ और बिजली के अनन्य संबंध का बिंब सृजित किया है। उदाहरणस्वरूप वीणा के सुनहरे तारों पर प्रियंवद की धीरे-धीरे फिरती अँगुलियों के लिये अज्ञेय ने यह बिंब खड़ा किया है-
“अलस अँगड़ाई लेकर मानो जग उठी थी वीणा, किलक उठे थे स्वर शिशु।”
असाध्य वीणा में मिथक के प्रयोग को व्यवहार्य बनाने हेतु अज्ञेय ने दृश्य, ध्वनि, स्पर्श आदि बिंबो का सफल प्रयोग किया है। जैसे-
दृश्य बिंब:
“संगीतकार
वीणा को धीरे से नीचे रख, ढँक - मानो
गोदी में सोये शिशु को पालने डालकर मुग्धा माँ
हट जाए, दीठ से दुलारती -
उठ खड़ा हुआ।
स्पर्श बिंबः
“और चित्र प्रत्येक
स्तब्ध विजड़ित करता है मुझको।
सुनता हूँ मैं
पर हर स्वर कंपन लेता है मुझको मुझसे सोख
वायु-सा, नाद भरा मैं उड़ जाता हूँ।”
इस तरह असाध्य वीणा में अज्ञेय ने प्रकृति एवं सामान्य लोक जीवन से बिंब उपादानों का चयन करते हुए दृश्य, ध्वनि, स्पर्श आदि बिंबो का कुशल प्रयोग किया है।