अंग्रेजों द्वारा किये गए समाज सुधार का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था। आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
10 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
उत्तर की रूपरेखा:
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19वीं सदी की शुरुआत में भारत में सामाजिक जीवन लगभग स्थिर था तथा अतीत पर ज़्यादा निर्भर करता था। लोग धर्म, क्षेत्र, भाषा तथा जाति के आधार पर विभाजित थे। स्त्रियों की स्थिति दयनीय थी तथा उनके ऊपर कई बंधन आरोपित किये गए थे। समाज के उच्च वर्गों का जीवन एवं संस्कृति समाज के निम्न वर्गों से पूर्णतः भिन्न थी।
औपनिवेशिक सरकार ने समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने तथा विशेषकर महिलाओं के कल्याण के लिये कई कदम उठाए जो निम्नप्रकार से हैं :
अंग्रेजों के बीच कई प्रबुद्ध व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय समाज की बुराइयों को दूर करने के लिये गंभीर प्रयास किये। वे नारी तथा निम्न वर्ग की दुर्दशा से व्यथित थे उनके सुधारों में मानवीय दृष्टिकोण था। परंतु बाद के वर्षों में ईसाई मिशनरियों तथा औपनिवेशिक मानसिकता के व्यक्तियों ने भारतीय समाज की अनावश्यक बुराई शुरू कर दी। उनका मूल उद्देश्य ईसाई धर्म का प्रचार करना था।
इन सुधारों के पीछे चाहे जो भी कारण रहे हों ये सुधार भारतीय समाज के लिये अतिआवश्यक थे तथा इन सुधारों ने भारतीय समाज में आंतरिक सुधारों की एक शृंखला की शुरुआत कर दी। अंग्रेजों द्वारा शुरू किये सुधारों के फलस्वरूप समाज में रोष भी उत्पन्न हुआ क्योंकि उन्होंने इसे अपने रीति-रिवाजों में बाह्य हस्तक्षेप समझा तथा यह 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारणों में से एक था।