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प्रश्न :
भारत को दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, भारतीय फार्मा क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। टिप्पणी करें।
06 Apr, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति में वैश्विक स्तर पर भारत के योगदान की चर्चा करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत के फार्मा क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
भारत वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। हाल ही में भारत ने कई विकसित और विकासशील देशों को कोविड-19 वैक्सीन निर्यात करने का निर्णय लिया है।
यह एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि इससे फार्मेसी के क्षेत्र में भारत का महत्त्व पुनः सत्यापित होता है। हालाँकि भारत में फार्मा क्षेत्र में सामने कई चुनौतियाँ हैं।
भारत में फार्मा क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियाँ
- चीन पर निर्भरता: जेनेरिक दवाओं का वैश्विक आपूर्तिकर्त्ता होने के बावजूद, भारतीय दवा उद्योग दवा निर्माण हेतु कच्चे माल के लिये चीन पर अत्यधिक निर्भर है।
- इन कच्चे माल को सक्रिय औषधि सामग्री (API) कहा जाता है। भारतीय दवा निर्माता अपनी कुल थोक दवा आवश्यकताओं का लगभग 70% चीन से आयात करते हैं।
- विनिर्माण क्षेत्र का सिकुड़ना: भारत ऐसा क्षेत्र है, जहाँ कम लागत में दवा का उत्पादन होता है और यह पेटेंट मुक्त दवा के सरल फॉर्मूलेशन का निर्यातक है।
- हालाँकि हाल ही में निर्माताओं के द्वारा विनिर्माण की महत्त्वपूर्ण गतिविधियों को अन्य देश में स्थानांतरित करने से, जहाँ जरूरी सुविधाएँ कम लागत में उपलब्ध है, देश के दवा विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट आई है, ।
- नकली दवाएँ: भारत में उच्च मूल्य या अच्छी ब्रांड की दवा कंपनियों के नकली संस्करण उनके व्यवसाय को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं।
- मूल्य कैपिंग: देश की आबादी के बड़े हिस्से के लिये जेनेरिक दवाओं को अधिक सस्ता बनाने के लिये भारतीय दवा उद्योग सरकार और नागरिक समाज दोनों के दबाव का सामना कर रहा है।
- यह भारतीय फार्मा क्षेत्र की लाभप्रदता को प्रभावित करता है।
निष्कर्ष
भारत का फार्मा क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिये एक उभरता हुआ क्षेत्र है। यह भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगा। इस प्रकार, भारत को फार्मा क्षेत्र के सामने मौजूद चुनौतियों को सुधारने और जैव प्रौद्योगिकी जैसी भविष्य की चिकित्सा प्रौद्योगिकियों में निवेश करने की आवश्यकता है।
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