- फ़िल्टर करें :
- राजव्यवस्था
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध
- सामाजिक न्याय
-
प्रश्न :
परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के संदर्भ में भारत की प्रमुख शर्तों पर चर्चा कीजिये।
05 Apr, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
- उन मुद्दों पर चर्चा करें कि भारत NPT को भेदभावपूर्ण क्यों मानता है और इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार क्यों करता रहा है?
- संक्षिप्त निष्कर्ष दें।
परमाणु अप्रसार संधि एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है, जो वर्ष 1968 में अस्तित्व में आई। इसके तीन उद्देश्य हैं- परमाणु अप्रसार, निरस्त्रीकरण एवं परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग। हालाॅंकि संरचनात्मक कमियों के कारण भारत इस संधि की आलोचना करता है और इसे भेदभावपूर्ण बताता रहा है।
भारत उन पाॅंच देशों में से एक है, जिन्होंने या तो एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किये या निम्नलिखित मुद्दों को ध्यान में रखकर एनपीटी को भेदभावपूर्ण मानते हुए इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था:
निरस्त्रीकरण प्रक्रिया की विफलता: एनपीटी निरस्त्रीकरण हेतु कोई ठोस रोडमैप प्रस्तावित नहीं करता है, इसमें साफ तौर पर परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने या विस्फोटक सामग्री एवं परमाणु हथियारों को फ्रीज़ करने या उनके उत्पादन पर रोक लगाने संबंधी कोई प्रावधान नहीं है।
न्यूक्लियर वेपन स्टेट और नॉन-न्यूक्लियर वेपन स्टेट: भारत इस संधि को भेदभावपूर्ण बताकर इसकी आलोचना करता है क्योंकि यह केवल गैर-परमाणु संपन्न राष्ट्रों को ही परमाणु शक्ति संपन्न होने से रोकता है।
इस संदर्भ में भारत मांग करता रहा है कि परमाणु हथियार संपन्न राज्य (NWS) (ऐसे देश जिनके पास परमाणु हथियार है) को गैर-परमाणु हथियार संपन्न राज्य (NNWS) (ऐसे देश जिनके पास परमाणु हथियार नहीं है) की प्रतिबद्धता के बदले अपने परमाणु शस्त्रागार का त्याग करना चाहिये एवं भविष्य में इनके उत्पादन पर रोक लगानी चाहिये।
भेदभावपूर्ण सुरक्षा उपाय: अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने परमाणु सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत NWS को स्वैच्छिक सुरक्षा उपायों को बनाए रखने की अनुमति दी है, जबकि NNWS को व्यापक सुरक्षा उपायों के अधीन रखा गया है, जो भेदभावपूर्ण प्रतीत होता है।
परमाण्विक क्षेत्रों में गैर-सरकारी समूहों का सक्रिय होना: बड़े पैमाने पर परमाणु हथियारों का उपयोग करने एवं वैश्विक परमाणु हथियारों के काले बाज़ार को सक्रिय करने के घोषित इरादे के साथ गैर-सरकारी समूहों के उदय से एनपीटी की सीमाएँ चिंताजनक है।
निष्कर्ष
भारत ने परमाणु अप्रसार संधि का विरोध किया है क्योंकि यह गैर-परमाणु संपन्न देशों के लिये पक्षपातपूर्ण रूप से लागू होता है तथा परमाणु हथियार शक्ति संपन्न पाॅंच देशों के एकाधिकार को वैधता प्रदान करता है। इस प्रकार सभी देशों को वैश्विक शांति हेतु परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग संबंधी एक बहुपक्षीय रूपरेखा तैयार करने के लिये एक निरपेक्ष और भेदभाव रहित संधि प्रस्तावित करनी चाहिये।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print