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प्रश्न :
‘ऊष्मा बजट’ क्या है और यह पृथ्वी के वातावरण में तापमान को किस प्रकार प्रभावित करता है?
02 Apr, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- पृथ्वी का ऊष्मा बजट क्या है, इसे परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
- एक उपयुक्त आरेख के साथ ऊष्मा बजट पर चर्चा करें और बताएँ कि यह पृथ्वी के तापमान को कैसे प्रभावित करता है।
- संक्षिप्त निष्कर्ष दें।
पृथ्वी एक निश्चित मात्रा में सूर्यातप (लघु तरंगें) प्राप्त करती है और स्थलीय विकिरण (दीर्घ तरंगों) के माध्यम से अंतरिक्ष में पुनः ऊष्मा छोड़ देती है।
ऊष्मा के इस प्रवाह के माध्यम से पृथ्वी अपने तापमान को संतुलित रखती है। इसी प्रक्रिया को पृथ्वी का ऊष्मा बजट कहा जाता है।
पृथ्वी का प्रत्येक भाग सूर्य से समान मात्रा में सूर्यातप प्राप्त नहीं करता है। ध्रुवीय क्षेत्रों की तुलना में भूमध्यरेखीय क्षेत्र अधिक सूर्यातप प्राप्त करते हैं। वायुमंडल और महासागरीय सतहें, संवहन, वर्षा, हवाओं और समुद्र के वाष्पीकरण इत्यादि के माध्यम से ऊष्मा बजट को असंतुलित नही होने देते हैं।
वातावरण एवं महासागरीय परिसंचरण की इस प्रक्रिया से निम्न तरीकों से पृथ्वी पर तापमान का संतुलन बना रहता है:
- इसके ज़रिये जलवायु में ऊष्मा का न केवल भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर, बल्कि पृथ्वी की सतह और निचले वातावरण से लेकर अंतरिक्ष तक सौर ताप का पुनर्वितरण होता है।
- जब सौर ऊर्जा की आने वाली किरणें अंतरिक्ष में उत्सर्जित ऊष्मा द्वारा संतुलित होती हैं, तो पृथ्वी पर विकिरण का संतुलन बना रहता है एवं वैश्विक तापमान अपेक्षाकृत स्थिर होता है।
- भूमध्य रेखा से 40° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशीय क्षेत्रों को प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश प्राप्त होता है, अतः वे ऊर्जा अधिशेष क्षेत्र हैं। 40° उत्तर और दक्षिण अक्षांशों से परे के क्षेत्र सूर्य के प्रकाश से प्राप्त होने वाली ऊष्मा की तुलना में अधिक ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं, अतः वे ऊर्जा की कमी वाले क्षेत्र हैं।
- वायुमंडल (वायुमंडलीय पवनें) और महासागर (महासागरीय धाराएँ) उष्णकटिबंधीय (ऊर्जा अधिशेष क्षेत्र) से ध्रुवों (ऊर्जा की कमी वाले क्षेत्रों) की ओर अधिक ऊष्मा का स्थानांतरण करते हैं।
- अधिकांश ऊष्मा का हस्तांतरण मध्य-अक्षांश यानी 30° से 50° [जेट स्ट्रीम और चक्रवात का अध्ययन करते समय] के मध्य होता है, अतः इस क्षेत्र में कई तूफान आते रहते हैं।
इस प्रकार निम्न अक्षांशों से अधिशेष ऊष्मा का स्थानांतरण उच्च अक्षांशों में ऊष्मा की कमी वाले क्षेत्रों में होते रहने से पृथ्वी की सतह पर ऊष्मा संतुलन बना रहता है।
निष्कर्ष
सूर्य उष्मा का अंतिम स्रोत है और पृथ्वी पर विभिन्न क्षेत्रों द्वारा सूर्य से प्राप्त ऊष्मा में अंतर सभी प्रकार के जलवायु विशेषताओं के पीछे अंतिम कारण है। इसलिये विभिन्न मौसमों जैसे- हवा प्रणाली, दबाव प्रणाली, वर्षा आदि को समझने के लिये विभिन्न मौसमों में तापमान के वितरण के पैटर्न को समझना आवश्यक है।
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