इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ‘संवैधानिक नैतिकता’ और इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

    01 Apr, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • संवैधानिक नैतिकता को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
    • संवैधानिक नैतिकता के महत्त्व पर चर्चा करें।
    • संक्षिप्त निष्कर्ष दें।

    डॉ. अंबेडकर के अनुसार, संवैधानिक नैतिकता का अर्थ विभिन्न नागरिक वर्गों एवं प्रशासनिक समूहों के परस्पर विरोधी हितों के मध्य समन्वय स्थापित करना है। इसके तहत किसी भी तरह से जीवन-यापन कर रहे विभिन्न समूहों के हितों की प्राप्ति के लिये बिना किसी टकराव के समस्या को हल करने की परिकल्पना की जाती है।

    संवैधानिक नैतिकता का महत्त्व

    संवैधानिक नैतिकता विधि के शासन की स्थापना सुनिश्चित करती है एवं समाज के विभिन्न वर्गों की आकांक्षाओं और आदर्शों को एक साथ लेकर चलने की परिकल्पना करती है।

    एक संवैधानिक विचार के रूप में संवैधानिक नैतिकता लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों के विश्वास को बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

    यह लोगों को ऐसी संवैधानिक आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिये सहयोग और समन्वय करने के लिये प्रोत्साहित करती है, जिन्हें अकेले नहीं प्राप्त किया जा सकता है।

    संवैधानिक नैतिकता कानून का प्रयोग कर सामाजिक या सामूहिक नैतिकता को प्रभावित कर सकती है या बदल भी सकती है।

    उदाहरण के लिये कानून की सहायता से सती प्रथा को समाप्त कर विधवाओं को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार दिया गया, फिर धीरे-धीरे समाज में इस प्रथा के प्रति लोगों की धारणा भी बदल गई।

    संवैधानिक नैतिकता समाज में बहुलता और विविधता को महत्त्व प्रदान करती है।

    उदाहरण के लिये नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने LGBTQ के अधिकारों की पुन: पुष्टि करने और इस समूह के लोगों को उनकी गरिमा, जीवन, स्वतंत्रता और पहचान के लिये एक रूपरेखा प्रदान की।

    सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में दोहराया है कि संवैधानिक नैतिकता केवल संवैधानिक प्रावधानों का अक्षरशः पालन करने तक सीमित नहीं है बल्कि यह व्यक्तिगत स्वायत्तता और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों पर आधारित है। साथ ही यह भेदभाव के बिना समानता, गरिमापूर्ण जीवन एवं पहचान तथा निजता के अधिकार से भी जुड़ी हुई है।

    निष्कर्ष

    संवैधानिक नैतिकता एक ऐसा मूल्य है जो प्रत्येक ज़िम्मेदार नागरिक के अंतर्मन में होना चाहिये। संवैधानिक नैतिकता का पालन करना न केवल न्यायपालिका या राज्य का बल्कि व्यक्तियों का भी कर्तव्य है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2