“बजट बनाने की प्रक्रिया तथा सार्वजनिक कार्यों की निगरानी में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के चलते बेहतर परिणामों के साथ-साथ लापरवाही तथा भ्रष्टाचार के मामलों में गिरावट देखने को मिलती है।” इस कथन के आलोक में सहभागी बजट की उपयोगिता पर चर्चा कीजिये।
30 Mar, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
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सहकारी या पार्टिसिपेटरी बजट नीति निर्माण की नवीन अवधारणा है, जिसमें नागरिक प्रत्यक्ष तौर पर नीति निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेते हैं। इसके तहत नागरिक नीतियों के निर्माण की प्रक्रिया और प्रशासनिक सुधारों में भाग लेते हैं, साथ ही कम आय वाले पड़ोसियों तक सार्वजनिक संसाधनों की पहुँँच सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं।
सहकारी या पार्टिसिपेटरी बजट की अवधारणा सर्वप्रथम ब्राज़ील के शहर पोर्टो एलेग्रे में वर्ष 1980 के दशक में प्रस्तुत की गई थी। वर्तमान में यह किसी-न-किसी रूप में विश्व के हज़ारों शहरों में प्रचलित है।
सहभागी बजट के लाभ
शासन तक पहुँच: सहभागी बजट लोगों को यह महसूस कराता है कि प्रशासन में उनकी भागीदारी है और इस प्रकार यह जनता तथा सरकार के बीच विश्वास को मज़बूत करता है।
इसके माध्यम से बच्चे, महिलाएँ, वरिष्ठ नागरिक और अन्य समूहों के लोग प्रशासन के समक्ष तर्कों और अपेक्षाओं के साथ अपने मामले को रखने में सक्षम होंगे तथा उन्हें पूरा भी कर सकेंगे।
यह बजट के साथ-साथ समस्या समाधान पर लक्षित, हाइपर-लोकल फोकस की सुविधा प्रदान करता है।
सामुदायिक स्वामित्व: यह सार्वजनिक संपत्तियों और सुविधाओं के मामले में समुदायों में स्वामित्व को अधिक-से-अधिक बढ़ावा देगा, जिससे उनका बेहतर संरक्षण तथा रख-रखाव सुनिश्चित होगा।
स्थानीय स्तर पर यह समुदायों, निर्वाचित पार्षदों और शहर प्रशासन सभी के लिये एक सकारात्मक बदलाव लाने वाला सिद्ध होगा।
इससे नागरिक आवश्यकताओं के अनुरूप सार्वजनिक कार्यों की प्राथमिकता तय होगी।
सरकार और नागरिकों के मध्य विश्वास में वृद्धि: नागरिक बजट के तहत जारी निधियों का उपयोग करने के लिये वार्ड-स्तर के इंजीनियरों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं ताकि उनके द्वारा सार्वजनिक जन सुविधाओं, जैसे- स्ट्रीट लाइट्स को ठीक करना, फुटपाथों को चलने योग्य बनाना, पार्कों का सौंदर्यीकरण, हर शहरी गरीब बस्ती में एक शिशु देखभाल केंद्र या सार्वजनिक शौचालय के निर्माण एवं रख-रखाव पर ध्यान दिया जा सके। इससे नागरिकों तथा सरकारों के बीच विश्वास मज़बूत होगा।
समावेशीकरण: यह सामाजिक और राजनीतिक समावेशन को सुनिश्चित करता है तथा कम आय वर्ग एवं पारंपरिक रूप से राजनीति से बहिष्कृत लोगों को नीतिगत निर्णय लेने का अवसर दिया जाता है।
सहभागी बजट की चुनौतियाँ:
सूचना और ज्ञान की कमी: सूचना और विशेषज्ञता की दृष्टि से कमज़ोर नागरिक महत्वपूर्ण सार्वजनिक नीति निर्णय लेने में शामिल नहीं हो सकते हैं।
कुछ नागरिकों को किसी विशेष मुद्दे (यानी स्वास्थ्य एवं देखभाल, आवास या शिक्षा) का अच्छा ज्ञान हो सकता है फिर भी अन्य नीतिगत मुद्दों के बारे में उनका ज्ञान कम हो सकता है।
निर्णय में अधिक समय लगना: संघ / राज्यों द्वारा पेश किये गए बजट की तुलना में इस प्रक्रिया मेंअधिक समय लगता है। चूँकि बजट की तैयारी स्थानीय स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक की जाती है, इसलिये अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने में देरी हो सकती है।
सीमित एवं तात्कालिक लाभ: यह अल्पकालिक लाभ के लिये दीर्घकालिक योजना का त्याग करता है, क्योंकि नागरिकों की अधिकांश मांगें तात्कालिक होती हैं।
स्थानीय सोच से प्रेरित स्थानीय कार्य: यह स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देता है एवं क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या वैश्विक मुद्दों की अनदेखी करता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में परंपरागत रूप से बहिष्कृत समाज के सदस्यों की भागीदारी के लिये एक मंच प्रदान करना सामाजिक दृष्टिकोण से न्यायपूर्ण है तथा सामाजिक न्याय को बढ़ाने के लिये सहभागी बजट पर ध्यान देने की आवश्यकता है, इससे समतापूर्ण शासन के साथ-साथ गरीबों की स्थिति में भी सुधार होगा।