देश के विकास हेतु जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने के लिये ग्रामीण केंद्रित नीतियों की आवश्यकता होगी। विवेचना कीजिये।
23 Mar, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय
हल करने का दृष्टिकोण
|
भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है, जहाँ भारत की युवा आबादी में ग्रामीण युवा आबादी का अनुपात अधिक है। हालाँकि हाल के वर्षों में बेरोज़गारी की दर बढ़ रही है। कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सबसे मज़बूत कड़ी है, किंतु हाल के कुछ वर्षों में इस दिशा में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है। अत: उत्पादक कृषि गतिविधियों में ग्रामीण युवाओं को शामिल करने से भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जनसांख्यिकीय लाभांश के लिये ग्रामीण-केंद्रित नीतियाँ:
कृषि प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना: उभरती कृषि प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे अधिक रोज़गार सृजन की संभावना है।
उदाहरण के लिये कृषि आधारित ई-कॉमर्स, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)- सुधार, कृषि-विस्तार, बीज प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, कृषि निगरानी, कृषि/ग्रामीण फिन-टेक इत्यादि।
संबद्ध कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देना: ग्रामीण क्षेत्र में बागवानी, डेयरी उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण आदि में ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार सृजन की संभावना अधिक है।
सौर ऊर्जा का उपयोग: सौर ऊर्जा उत्पादन भी रोज़गार और मुनाफे में वृद्धि का एक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है।
ग्रामीण युवाओं में कौशल निर्माण: विनिर्माण और सेवा-क्षेत्रों से कृषि-केंद्रित क्षेत्रों में नौकरियों के संक्रमण की आवश्यकता है।
इस संदर्भ में राष्ट्रीय कौशल विकास कोष के तहत उपयुक्त बजटीय आवंटन के माध्यम से औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में प्रशिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही पाठ्यक्रम को फिर से डिज़ाइन करने और उसे उपयुक्त बजटीय आवंटन के माध्यम से उन्नत करने की आवश्यकता है।
ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना: भारत में ग्रामीण पर्यटन अभी भी विकासशील अवस्था में है, लेकिन पूर्ण क्षमता के साथ इसके विकास के परिणामस्वरूप यह पर्यटकों के साथ-साथ ग्रामीण लोगों के लिये भी लाभदायक हो सकता है।
निष्कर्ष
भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने हेतु ग्रामीण युवाओं के लिये रोज़गार के अवसर विकसित करने चाहिये। साथ ही स्वरोज़गार हेतु उपयुक्त वातावरण बनाने की आवश्यकता है।