भले ही राजनीति में महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है लेकिन वे एक निर्णायक राजनीतिक वर्ग हैं ? किन अवरोधों के कारण राजनीति में महिलाओं की भागीदारी नहीं बढ़ पा रही, इन अवरोधों को दूर करने के लिये आप क्या सुझाव देंगें?
14 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज
उत्तर की रूपरेखा:
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इतिहास से पता चलता है कि राजनीति में महिलाओं की भूमिका के परिप्रेक्ष्य में स्त्री के बतौर शासक होने के प्रमाण क्षेत्रीय सत्ताओं में ही मिलते हैं, लेकिन केंद्रीय सत्ता के रूप में पहली उपस्थिति हमें रज़िया सुल्तान की मिलती है। स्वतंत्रता के बाद भारतीय राजनीति में पहला सशक्त उदाहरण इंदिरा गांधी का मिलता है। आज देश के पास महिला मुख्यमंत्रियों की लम्बी सूची है। प्रमुख राजनीतिक पदों के साथ राजनीतिक दलों के शीर्ष पदों पर महिलाएँ आसीन हैं।
राजनीति में महिलाओं की भूमिका का दूसरा पहलू भी है। महिलाओं का नीति-निर्माण प्रक्रिया में बहुत कम योगदान रहता है, उन्हें महत्त्वपूर्ण राजनीतिक फैसलों से दूर रखा जाता है। महत्त्वपूर्ण पदों पर आसीन होने के बावजूद उनके राजनीतिक फैसलों के पीछे उनके पिता, पुत्र या पति की अहम भूमिका होती है। पहली लोकसभा में जहाँ 5% महिलाएँ थीं, वहीं पंद्रहवीं में इनकी संख्या10.09% है। राज्यसभा में जहाँ 1952 में महिला भागीदारी 7.31% थी वहीं, 2009 में यह 10.26% ही पहुँची है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के बावजूद भारत में महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व पड़ोसी देश नेपाल व बांग्लादेश की तुलना में भी कम है।
ध्यातव्य है कि महिला मतदाताओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो उनकी राजनीतिक छवि को दर्शाता है। अतः भले ही राजनीति में महिलाओं का पर्याप्त प्रतिनिधित्व न हो, लेकिन वे निर्णायक राजनीतिक वर्ग अवश्य हैं। भारत में महिलाओं के राजनीतिक विकास में निम्नलिखित बाधाएँ हैं-
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने हेतु निम्न प्रयास आवश्यक है-