"मैं अनुभव करता हूँ कि यह ग्राम-प्रांतर मेरी वास्तविक भूमि है। मैं कहीं सूत्रों से इस भूमि से जुड़ा हूँ। उन सूत्रों में तुम हो, यह आकाश और ये मेघ हैं। यहाँ की हरियाली है, हरिणों के बच्चे हैं, पशुपाल हैं। यहाँ से जाकर मैं अपनी भूमि से उखड़ जाऊँगा।"
28 Feb, 2021 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य
हल करने का दृष्टिकोण:
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संदर्भः प्रस्तुत अवतरण मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक ‘आषाढ़ का एक दिन’ के अंक 1 से लिया गया है।
प्रसंगः प्रस्तुत प्रसंग मल्लिका और कालिदास के बीच वार्तालाप से उद्धृत है जिसमें कालिदास उज्जयिनी ना जाने की इच्छा व्यक्त करता है और अपने गाँव के प्रति प्रेम दर्शाता है।
व्याख्याः कालिदास मल्लिका से कहता है कि इसी गाँव व भूमि को मैं अपनी असली भूमि मानता हूँ। मैं यहाँ कई तत्व/तार से जुड़ा हुआ हूँ, यहाँ तुम हो अर्थात् मल्लिका, आकाश और ये बादल हैं, यहाँ की धरती हरी-भरी है, हरिण शावक हैं, पशुपाल हैं अर्थात् यहाँ विद्यमान प्राकृतिक तत्व सौंदर्य से ही मैं जुड़ा हुआ महसूस करता हूँ, अगर मैं यहाँ से गया जो अपनी ज़मीन से अलग हो जाऊँगा।
विशेषः
प्रस्तुत पंक्तियों में प्रकृति प्रेम को दर्शाया गया है।
संवाद के स्तर पर यह पंक्तियाँ छोटे-छोटे वाक्यों और विराम चिन्हों के कुशल एवं परिपक्व प्रयोग के कारण अभिनेता की दृष्टि से उपयुक्त बंद पड़ी हैं।