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प्रश्न :
वर्तमान में लौह एवं इस्पात उद्योगों की कच्चे माल के स्रोत से दूर स्थिति का उदाहरणों सहित कारण बताइये। (150 शब्द) (UPSC GS-1 Mains 2020)
18 Feb, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- लौह और इस्पात उद्योग के प्रमुख स्थानीय कारकों पर संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर शुरू करें।
- कच्चे माल के स्रोत से दूरी जैसे लौह और इस्पात उद्योग के वर्तमान स्थानीय कारकों पर चर्चा करें।
- उचित निष्कर्ष दें।
कच्चे माल और बिजली की उपलब्धता लौह एवं इस्पात उद्योग की स्थापना एवं विकास के प्रमुख घटक हैं। 19वीं एवं 20वीं शताब्दी की शुरुआत में प्रसंस्करण के दौरान वज़न की क्षति के कारण शुरुआती इस्पात प्लांट ज़्यादातर उन क्षेत्रों में स्थित थे जहाँ कोयला उपलब्ध था।
हालाँकि समय बीतने के साथ-साथ कच्चे माल की कमी, नई प्रौद्योगिकियों (जैसे बिजली भट्टियाँ) के उदय एवं ईंधन की बचत, परिवहन साधनों आदि ने कच्चे माल के स्रोत से दूर होने के बावजूद लौह और इस्पात उद्योग को बढ़ावा दिया।
कच्चे माल की उपलब्धता के अलावा पूंजी और बाज़ार की व्यवस्था भी लोहा और इस्पात उद्योग सहित उद्योगों के स्थानीयकरण के लिये महत्त्वपूर्ण कारक हैं।
बाज़ार आधारित उद्योग आमतौर पर उन देशों में पाए जाते हैं जहाँ कोयला और लौह अयस्क का भंडार दुर्लभ हो।
उदाहरण के लिये जापान में लौह अयस्क और कोयला दोनों की कमी है तथा लगभग सभी प्रकार के कच्चे माल का आयात विदेशों से किया जाता है। इस वजह से जापानी स्टील प्लांट ज़्यादातर बाज़ार आधारित हैं। ‘टोक्यो-योकोहामा’ और ओसाका - कोबे - हेमजी के लौह इस्पात क्षेत्र बाज़ार आधारित हैं।
परिवहन क्षेत्र लौह एवं इस्पात उद्योग की स्थापना का एक और नियंत्रित कारक है।
कुछ मामलों में मध्यवर्ती स्थानों को कच्चे माल एवं बाज़ार की पहुँच के संदर्भ में अलग-अलग फायदे प्राप्त होते हैं, विशेष तौर पर पोर्ट-आधारित प्लांट को।
उदाहरण के लिये आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम का वाईजेग स्टील प्लांट पहला पोर्ट-आधारित प्लांट है, जिसका परिचालन वर्ष 1992 में शुरू किया गया था।
कच्चे माल के घटते भंडार के कारण कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को अब नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इसके अलावा कोयले के उपयोग में भारी कमी और ईंधन-आधारित अर्थव्यवस्था के विकास से उद्योग उन क्षेत्रों में आकर्षित हुए हैं जहाँ परिवहन सस्ता है।
उदाहरण के लिये उद्योगों का ऐसे स्थानों पर स्थानांतरित होना जहाँ सस्ता जल मार्ग या जहाँ परिवहन लागत कम होने या लोडिंग और अनलोडिंग सुविधाओं के चलते कच्चा माल काफी सस्ते दर पर उपलब्ध हो।
निष्कर्ष
आजकल इस्पात संयंत्रों के स्थानीयकरण में तीनों कारकों अर्थात् कोयला, लौह अयस्क और बाज़ार का समान महत्त्व है। हालाँकि किन्हीं दो भौगोलिक कारकों की उपलब्धता स्टील प्लांट साइट का निर्धारण करती है।
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