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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में दशलक्षीय नगरों जिनमें हैदराबाद एवं पुणे जैसी स्मार्ट सिटीज़ भी सम्मिलित हैं, में व्यापक बाढ़ के कारण बताइये। स्थायी निराकरण के उपाय भी सुझाइये। (250 शब्द) (UPSC GS-1 Mains 2020)

    08 Feb, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • बाढ़ की बारंबारता में वृद्धि के कारणों का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरुआत करें।
    • शहरी क्षेत्र में बाढ़ की बढ़ती प्रायिकता के विभिन्न कारणों की चर्चा करें।
    • बाढ़ से निपटने के तरीकों की चर्चा करें।
    • उचित निष्कर्ष दें।

    जैसे-जैसे जलवायु में परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाओं में बढ़ोतरी होती जा रही है, शहरी क्षेत्र में बाढ़ आने की प्रायिकता बढ़ गई है। शहरी क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति विशेषत: अनियोजित शहरीकरण के कारण उत्पन्न होती है।

    शहरी क्षेत्र में बाढ़ की प्रायिकता बढ़ने का कारण:

    • अपर्याप्त जल निकासी प्रणाली:
      • हैदराबाद, मुंबई जैसे शहर एक सदी से अधिक पुरानी जल निकासी व्यवस्था पर निर्भर हैं, जो शहर के केवल एक छोटे भाग को ही कवर करती है।
      • पिछले 20 वर्षों में भारतीय शहरों का विस्तार अपने मूल क्षेत्र की तुलना में कई गुना हुआ है, जबकि उस अनुपात में जल निकासी प्रणाली की व्यवस्था हेतु प्रयास नहीं किया गया है।
    • शहरीकरण का हावी होना:
      • भारतीय शहरों में जल की समस्या में तेज़ी से होने वाली वृद्धि का कारण न केवल बढ़ते हुए निर्माण कार्य हैं, बल्कि इनमें उपयोग की जाने वाली सामग्रियों (कठोर और गैर-संरध्र निर्माण सामग्री जो मिट्टी को अपारगम्य बनाती है) की प्रकृति भी है।
      • इसके अलावा प्रॉपर्टी बिल्डर, संपत्ति मालिक और सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा क्षेत्र को समतल करने तथा प्राकृतिक जल निकासी मार्गों में परिवर्तन करने जैसी घटनाओं के कारण अपूरणीय क्षति हुई है।
    • ईआईए का खराब कार्यान्वयन: पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (ईआईए) जैसे विनियामक तंत्रों में वर्षा जल संचयन, टिकाऊ शहरी जल निकासी व्यवस्था आदि के प्रावधानों का सही से कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियों की स्थिति कमज़ोर बनी हुई है।

    शहरी बाढ़ से बचाव हेतु उपाय

    • समग्र जुड़ाव:
      • शहरी बाढ़ की समस्या का समाधान का कार्य केवल नगर निगम अधिकारियों पर ही नहीं छोड़ देना चाहिये और न ही ऊर्जा एवं संसाधनों में उचित निवेश के बिना बाढ़ का प्रबंधन किया जा सकता है।
      • महानगर विकास प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य के राजस्व और सिंचाई विभाग के साथ-साथ नगर निगमों को भी इस तरह के काम में शामिल किया जाना चाहिये।
    • स्पंज शहर विकसित करना:
      • एक स्पंज शहर के विचार का उद्देश्य शहरों को और अधिक पारगम्य बनाना है ताकि वहाँ वर्षा जल को संरक्षित कर उसका उपयोग किया जा सके, साथ ही नई संरध्र निर्माण सामग्री और प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित या अनिवार्य किया जाना चाहिये।
      • स्पंज शहरों में बायोस्वेल और रिटेंशन सिस्टम, सड़कों एवं फुटपाथ के लिये पारगम्य सामग्री, ड्रेनेज सिस्टम, जो कि वर्षा जल के बहाव में मदद करता है और इमारतों में ग्रीन रूफ जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • जल संवेदी शहरी डिज़ाइन:
      • ये विधियाँ स्थलाकृति, सतहों के प्रकार (पारगम्य या अभेद्य), प्राकृतिक जल निकासी और पर्यावरण पर बहुत कम प्रभाव छोड़ती हैं।
      • भेद्यता विश्लेषण और जोखिम मूल्यांकन को शहर के मास्टर प्लान का हिस्सा बनाना चाहिये।
      • वाटरशेड प्रबंधन और आपातकालीन जल निकासी योजना को नीति में स्पष्ट रूप से शामिल करना चाहिये।
    • अभिसरण दृष्टिकोण: इन सभी को कायाकल्प और शहरी परिवर्तन (एएमआरयूटी), राष्ट्रीय धरोहर शहर विकास और संवर्द्धन योजना (मानव संसाधन) एवं स्मार्ट सिटी मिशन की तर्ज पर प्रभावी ढंग से वितरित किया जा सकता है।

    निष्कर्ष

    • अत्यधिक जल निकासी, अनियमित निर्माण, प्राकृतिक स्थलाकृति को लेकर गैर-ज़िम्मेदाराना व्यवहार एवं जल-भू-आकृति विज्ञान का आभाव आदि सभी शहरी बाढ़ को मानव निर्मित आपदा बनाते हैं।

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