नैनो टेक्नोलॉजी से आप क्या समझते हैं? यह तकनीक स्वास्थ्य के क्षेत्र में किस प्रकार सहायता कर रही है? (UPSC GS-3 Mains 2020)
03 Feb, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी
हल करने का दृष्टिकोण:
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नैनो टेक्नोलॉजी अनुसंधान और नवाचार का एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आमतौर पर वस्तुओं का निर्माण परमाणुओं और अणुओं के पैमाने पर किया जाता है। एक नैनोमीटर एक मीटर का एक अरबवाँ हिस्सा होता है।
नैनोसाइंस और नैनो टेक्नोलॉजी के पीछे के विचारों और अवधारणाओं की शुरुआत भौतिक विज्ञानी रिचर्ड फेनमैन द्वारा वर्ष 1959 में "देयर इज़ प्लेंटी ऑफ रूम एट द बॉटम" शीर्षक पर चर्चा के साथ शुरू हुई। स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप जिससे प्रत्येक परमाणु को देखा जा सकता था, के विकास से आधुनिक नैनो तकनीक की शुरुआत हुई जबकि ऐसी सुविधा वर्ष 1981 तक नहीं थी।
स्वास्थ्य क्षेत्र में नैनो प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग
दवाओं का प्रभावी वितरण: वर्तमान में विकसित की जा रही दवाओं में नैनो तकनीक के अनुप्रयोग से विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं तक दवा, गर्मी, प्रकाश या अन्य ज़रूरी तत्त्व को पहुँचाने के लिये नैनोकणों को नियोजित करना शामिल है।
उदाहरण के लिये वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक नैनोमाइसल बनाया है जिसका उपयोग स्तन, कोलोन और फेफड़ों के कैंसर सहित विभिन्न कैंसर के इलाज के लिये प्रभावी दवा वितरण में किया जा सकता है।
डायग्नोस्टिक तकनीक: रक्त में कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने हेतु चिप्स में कार्बन नैनोट्यूब से जुड़े एंटीबॉडी का उपयोग करने के लिये नैनो टेक्नोलॉजी में अनुसंधान किया जा रहा है।
जीवाणुरोधी उपचार: ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ता सोने के नैनोकणों और अवरक्त प्रकाश का उपयोग करके बैक्टीरिया को मारने की तकनीक विकसित कर रहे हैं। यह विधि एंटीबायोटिक प्रतिरोध की बढ़ती समस्या के लिये एक संभावित समाधान प्रदान कर सकती है।
सेल पुनर्निर्माण: नैनो-टेक अनुसंधान में सेलुलर स्तर पर मरम्मत करने के लिये निर्मित नैनो-रोबोट का उपयोग शामिल है। नैनो-रोबोट्स को वास्तव में विशिष्ट रोगग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत के लिये प्रोग्राम किया जा सकता है। प्राकृतिक रूप से उपचार करने में यह सामान्य एंटीबॉडी की तरह कार्य करता है।
निष्कर्ष
चिकित्सा के क्षेत्र में नैनो तकनीक का उपयोग भविष्य में मानव शरीर में बीमारी का पता लगाने और इलाज के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।