नदियों को आपस में जोड़ना सूखा, बाढ़ और बाधित जल-परिवहन जैसी बहु-आयामी अंतर्संबंधित समस्याओं का व्यवहार्य समाधान दे सकता है। आलोचनात्मक परिक्षण कीजिये। (250 शब्द)
28 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
हल करने का दृष्टिकोण:
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नदियों को आपस में जोड़ने का अर्थ है- अंतर-बेसिन जल अंतरण परियोजनाओं के माध्यम से जल 'अधिशेष' बेसिनों से ऐसे नदी बेसिन में जल को स्थानांतरित करना जहाँ जल की कमी हो अथवा सूखा हो।
भारत के उत्तरी मैदान में हिमालय से निकलने वाली बारहमासी नदियों में जल अधिशेष की स्थिति देखी जाती है, जबकि दक्षिणी और पश्चिमी भारत में आमतौर पर सूखा देखा जाता है, क्योंकि इन क्षेत्रों में मौसमी नदियाँ बहती हैं, जिनका जल स्तर काफी हद तक भारतीय मानसून पर निर्भर करता है।
नदियों को जोड़ने के संभावित लाभ
जलविद्युत उत्पादन: इससे अतिरिक्त जलविद्युत का उत्पादन होगा, जिससे भारत को पेरिस जलवायु समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद मिलेगी।
वर्ष-भर नेविगेशन: नदियों को जोड़ने से दक्षिणी भारत की नदियों के निम्न जल-स्तर में सुधार होगा और यह लगभग वर्ष-भर जल-मार्ग हेतु कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इस प्रकार परिवहन द्वारा प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी और आर्थिक विकास में मदद मिलेगी।
सिंचाई लाभ: नदियों को जोड़ने से देश की कुल सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी क्योंकि इससे सतह के अपवाह को समुद्र में जाने से कुछ हद तक रोका जा सकेगा।
नदियों को आपस में जोड़ने के संभावित दुष्परिणाम:
मानसून के दौरान बारहमासी नदियों में जल स्तर में कमी: वर्षा के आँकड़ों के एक नए विश्लेषण के अनुसार,बारहमासी नदियों में मानसून के दौरान जल स्तर में अधिक कमी आती है, जबकि ऐसे नदी बेसिन, जिनका जल स्तर पहले से निम्न है, के जल स्तर में कमी आती है।
संघवाद का मुद्दा: नदी जोड़ो परियोजना में संघवाद की भावना को नज़रअंदाज़ किया जाता है।
ऐतिहासिक रूप से जल बँटवारे को लेकर राज्य सरकारें असंतुष्ट रही हैं। उदाहरण के लिये कावेरी, महादयी जैसी नदियों को लेकर विवाद।
पड़ोसी देशों के साथ तनाव: बांग्लादेश जैसे राज्य के निचले नदी बेसिन में स्थित होने के कारण उसके भारत की इंटरलिंकिंग परियोजना में शामिल होने की संभावना कम है।
इसके अलावा चूँकि चीन ऊपरी नदी बेसिन में स्थित है, इसलिये भारत को अपने नदी जोड़ो कार्यक्रम के लिये चीन पर दबाव बना पाने की संभावना कम है। यह अंततः उत्तर-पूर्व भारत में जीवन को प्रभावित करेगा।
उच्च पर्यावरणीय और आर्थिक लागत: नदी जोड़ो परियोजना की लागत बहुत अधिक है। इसके अलावा यह डेल्टा, मैंग्रोव की वृद्धि और जलीय जीवन जैसे कई पारिस्थितिक कारकों को नुकसान पहुँचाएगा।
निष्कर्ष
नदियों को आपस में जोड़ने के अपने सकारात्मक ओर नकारात्मक पहलू हैं लेकिन आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय निहितार्थों को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इस परियोजना को पूरा करना एक बेहतर निर्णय नहीं हो सकता है। इसके बजाय नदियों के अंतर्संबंध को विकेंद्रीकृत तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है एवं बाढ़ और सूखे को कम करने के लिये वर्षा जल संचयन जैसे अधिक स्थायी तरीकों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।