"शिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, यह सामाजिक परिवर्तन और व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिये एक प्रभावी और व्यापक उपकरण है।” उपरोक्त कथन के आलोक में नई शिक्षा नीति, 2020 (NEP, 2020) का आलोचनात्मक परीक्षण करें।
21 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
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हाल ही में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की घोषणा की गई है। एनईपी 2020 कई मायनों में एक व्यक्ति के विकास और समाज में सकारात्मक परिवर्तन करने में मदद कर सकती है।
यह शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों को महत्त्व प्रदान करती है; यह शिक्षा को अधिक समावेशी बनाने की परिकल्पना करती है और इसका उद्देश्य 21वीं सदी की ज़रूरतों को पूरा करने हेतु भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलना है।
व्यक्तित्व के विकास एवं सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से प्रारंभिक वर्षों के महत्त्व को पहचानना: 3 वर्ष की आयु से शुरू होने वाली स्कूली शिक्षा के लिये 5 + 3 + 3 + 4 मॉडल अपनाकर इस नीति के तहत बच्चे के भविष्य को आकार देने में 3 से 8 वर्ष की प्रारंभिक अवस्था को प्रधानता दी गई है।
समाज के कमज़ोर वर्गों को प्रोत्साहित करना: इस योजना का एक और प्रशंसनीय पहलू इंटर्नशिप के साथ व्यावसायिक पाठ्यक्रम है। यह समाज के कमज़ोर वर्गों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिये प्रोत्साहित कर सकती है। साथ ही यह 'स्किल इंडिया मिशन' के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी।
शिक्षा को अधिक समावेशी बनाना: एनईपी में 18 वर्ष तक के सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) प्रदान करने का प्रावधान है। इसके अलावा यह नीति उच्च शिक्षा में सकल नामांकन को बढ़ाने के लिये ऑनलाइन शिक्षण और सीखने के तरीकों की क्षमता बढ़ाने पर बल देती है। साथ ही इसमें सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों तक अधिक पहुँच बनाने के लिये तकनीकी समाधान के उपयोग पर ज़ोर दिया गया है।
हिंदी बनाम अंग्रेज़ी: सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि एनईपी स्पष्ट रूप से हिंदी बनाम अंग्रेज़ी भाषा की बहस को खत्म करती है। यह मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा को कम-से-कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम बनाने पर ज़ोर देती है, जिसे शिक्षण का सबसे अच्छा माध्यम माना जाता है। इसके तहत सीखने के साथ संस्कृति, भाषा और परंपराओं का एकीकरण होगा जिससे बच्चे आसानी से आत्मसात कर सकेंगे।
सिलो मानसिकता से छुटकारा: नई नीति में स्कूली शिक्षा का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू हाईस्कूल में कला, वाणिज्य और विज्ञान वर्ग के मध्य सख्त विभाजन का टूटना है। यह उच्च शिक्षा में एक बहु-विषयक दृष्टिकोण की नींव रख सकती है। यह वर्तमान परिदृश्य को बदलने में मदद करेगी जहाँ सामाजिक दबाव के कारण छात्रों को उन क्षेत्रों को चुनना पड़ता है जो उनकी पसंद के नहीं होते हैं।
शिक्षा और सामाजिक न्याय: एनईपी सामाजिक न्याय के लिये शिक्षा को सबसे प्रभावी तरीके के रूप में मान्यता देती है। इस प्रकार, एनईपी केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से सकल घरेलू उत्पाद का लगभग छह प्रतिशत के निवेश का सुझाव देती है।
निष्कर्ष
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी और वर्ष 2030 तक समग्र रूप से सतत् विकास लक्ष्यों की आवश्यकताओं के अनुरूप लचीला और बहु-विषयक बनाना है।