भारत में कृषि उत्पादों के परिवहन एवं विपणन में मुख्य बाधाएँ क्या हैं? (150 शब्द) (UPSC GS-3 Mains 2020)
15 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
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हरित क्रांति के पश्चात् भारत ने खाद्य सुरक्षा की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है। इसके बाद भी कृषि आपूर्ति शृंखलाओं में बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण किसानों की आय कम है। भारत में कृषि विपणन कानूनों की प्रकृति कुछ ऐसी है कि यह कृषि उत्पादों के विपणन को उनके उत्पादन से अधिक मुश्किल बनाता है।
भारतीय किसान अभी भी अपने उत्पाद क्षेत्रीय बाज़ार (हाट), एपीएमसी (कृषि उपज मंडी समिति) में अथवा सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकते हैं। हालाँकि विपणन के इन तीनों ही प्रक्रियाओं मे बाधाएँ है।
क्षेत्रीय बाज़ार में:
कृषि आपूर्ति शृंखला एक सुविकसित बुनियादी ढाँचे की कमी के कारण प्रभावित है। कोल्ड स्टोरेज, पक्की सड़क इत्यादि की कमी के कारण किसान बाज़ार तक नहीं पहुँच पाते हैं।
इसके अलावा उचित भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण उत्पादों की अधिकता और कमी के कारण मूल्य में अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न होती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल की खरीद न होना:
सरकार 23 फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी करती है, जबकि मुख्यत: केवल तीन फसलें (गेहूँ, चावल और गन्ना) ही खरीदती है
इसके अलावा सरकारी खरीद की सुविधा पूरे देश में उपलब्ध नहीं हैं। इस कारण, डेयरी उत्पादों, सब्जियों, फलों जैसे उत्पादों को प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर बेचने हेतु कोई उचित व्यवस्था नहीं है।
APMC में बेचने पर:
अधिकांश एपीएमसी में खरीदारों को सभी खरीद लाइसेंसधारी आढ़तियों (बिचौलियों) के माध्यम से करनी होती है।
ये बिचौलिये अपनी "सेवाओं" के बदले कई बार खरीदार और विक्रेता दोनों से कमीशन लेते हैं।
आढ़ती भी ज़्यादातर साहूकार होते हैं, जो किसानों को ऋण पर बीज, उर्वरक एवं कीटनाशक की आपूर्ति करते हैं। इसी कारण किसान अपने उत्पाद उनके माध्यम से बेचने के लिये मजबूर हो जाते हैं और उधार की बकाया राशि उस हिसाब से काट ली जाती है।
आगे की राह
कृषि विपणन में एफपीओ (FPO) को बढ़ावा: किसान उत्पादक संगठनों / कंपनियों को सदस्य किसानों की उपज को सीधे बड़े खरीदारों को बेचने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।
कृषि-बाज़ार को एकीकृत करना: सरकार ने पैन-इंडिया ट्रेडिंग पोर्टल के माध्यम से सभी विनियमित थोक उत्पादन बाज़ारों को जोड़ने के लिये इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (eNAM) का निर्माण कर सही दिशा में कदम उठाया है।
इसके अलावा सरकार द्वारा एक मिनी बाज़ार GRAMs (ग्रामीण रूरल एग्रीकल्चर मार्केट) के निर्माण से किसान और बाज़ार के बीच की दूरी कम होगी।
कानूनी सुधार: सरकार ने कृषि बाज़ारों की विसंगतियों को दूर करने के लिये तीन कानून पारित किये हैं। हालाँकि इन कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये सरकार को किसान संघों को विश्वास में लेते हुए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
कृषि बाज़ार की चुनौतियों से निपटना जटिल है किंतु असंभव नहीं है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को कृषि विपणन हेतु बाज़ार विकसित किये बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अत: यह सही समय है जब कृषि उत्पादन से लेकर कृषि विपणन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये।