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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सिविल सेवाओं में उच्चतम नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए, इसे दूर करने के लिये प्रभावी उपाय सुझाएँ।

    07 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • भूमिका में सिविल सेवाओं में उच्चतम नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के महत्त्व को समझाएँ।
    • सिविल सेवकों द्वारा इस तरह के नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में होने वाली चुनौतियों पर चर्चा करें।
    • ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिये प्रभावी उपाय सुझाएँ।

    सिविल सेवक राज्य और लोगों के बीच पुल की तरह कार्य करते हैं। वे राजनीतिक कार्यपालिका और नागरिक दोनों के प्रति जवाबदेह हैं। उच्चतम नैतिक मूल्यों का पालन करना सिविल सेवकों के लिये सर्वोपरि है क्योंकि राज्य मशीनरी उनके कंधों पर टिकी हुई है; लोकतंत्र में लोगों का तंत्र में विश्वास बनाए रखने के लिये उन्हें आदर्शों को बनाए रखना होगा।

    सिविल सेवा वह स्टील फ्रेम है जिस पर सार्वजनिक प्रशासन का ढाँचा तैयार होता है। अगर इस स्टील फ्रेम को भ्रष्टाचार और निम्न नैतिक मूल्यों का बनाया गया तो कल्याणकारी उपाय, शिकायतों का समाधान एवं नीतियों को लागू करने वाली राज्य मशीनरी बिखर जाएगी।

    सिविल सेवकों के लिये उच्च नैतिक मूल्यों को बनाए रखने में चुनौतियाँ: 

    व्यक्तिगत दायित्वों और संगठनों के दायित्वों को संतुलित करना: सिविल सेवक के निजी विश्वासों और प्रशासनिक दायित्व के मध्य संघर्ष को संतुलित करते हुए अपने दायित्व का निर्वहन करना। 

    विचारों के टकराव से अनिर्णय की स्थिति: जब एक लोक सेवक को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है कि उसे क्या करना चाहिए और वह क्या सोचता है कि क्या होना चाहिए।

    सूचना के आदान-प्रदान में दुविधा: ऐसी परिस्थितियों से निपटना जब किसी लोक सेवक को यह तय करना होता है कि क्या उस सूचना को गुप्त रखना है जो शायद वर्तमान सरकार के लिये शर्मनाक हो या जो जनहित में हो।

    जनता के प्रति सेवा-भाव और जवाबदेही: किसी लोक सेवक को सार्वजनिक धन का अनुचित उपयोग, सरकारी तंत्र का व्यक्तिगत प्रयोग, भर्ती अथवा पुरस्कार या लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया में व्यक्तिपरक मानदंडों के संकेत मिलने पर कार्य करने में असुविधा होती है। 

    विवेक और प्रचलित राजनीतिक विचारधारा में संघर्ष के मध्य सामंजस्य: यह तय करना चुनौतीपूर्ण है कि एक लोक सेवक को वर्तमान सरकार द्वारा प्रचलित राजनीतिक विचारधारा का समर्थन किस हद तक करना चाहिए।

    निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन को संतुलित करना: जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक सेवा को रोज़गार के रूप में स्वीकार करता है तो यह निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण होता है कि उसे निजी जीवन और मूल्यों को कहाँ तक लागू करना चाहिए।

    सिविल सेवकों के बीच उच्च नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के उपाय:

    सरकारी अधिकारियों द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन की देखरेख के लिये एक समर्पित इकाई की स्थापना एवं आचार संहिता का निर्माण राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर की जाती है।

    उचित ऑडिटिंग के साथ सरकारी कर्मचारियों की संपत्ति और देनदारियों की घोषणा अनिवार्य होनी चाहिए। स्वतंत्र भ्रष्टाचार निरोधक संस्था की स्थापना होनी चाहिए।

    सिविल सेवकों के बीच आम जन कल्याण के विचारों को शामिल करने के लिये नागरिक सलाहकार बोर्ड की स्थापना।

    सभी सरकारी कार्यक्रमों के अनिवार्य सोशल ऑडिट, उदाहरण के लिये मेघालय ने सरकारी कार्यक्रमों के सोशल ऑडिट हेतु एक कानून पारित किया है।

    शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये एक महत्वपूर्ण आवश्यकता भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति है। अन्य आवश्यकताओं में प्रभावी कानून और नियम हैं, जो सार्वजनिक जीवन के हर पहलू को नियंत्रित करते हैं और सबसे अधिक महत्वपूर्ण पहलू है कानूनों का प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन।

    कानूनों और नीतियों के अलावा, सरकारी कर्मचारियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि वे जनता की समस्या को आसानी से समझ सकें। अनिवार्य संगठनात्मक प्रभावशीलता और प्रदर्शन को सुनिश्चित करके नैतिक मूल्यों को बढ़ाने के लिये सिटिज़न चार्टर्स को अपनाना चाहिए। प्रतिबद्धताओं को सार्वजनिक करने पर लोग सरकार द्वारा सेवा प्रदान करने वाले मानकों को हैं पाएँगे और नैतिकता का पालन सुनिश्चित हो सकता है।

    निष्कर्ष

    इस प्रकार, उच्च नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिये, एक लोक सेवक को सार्वजनिक सेवा की ज़िम्मेदारी का एक आंतरिक भाव विकसित करने की आवश्यकता है। सहानुभूति, करुणा, निष्ठा और मानवता की सेवा करने के लिये मूल्यों पर एक विशेष बल दिया जाना चाहिए। ज़िम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करने और अधिकतम लोगों के हित पर ध्यान केंद्रित करने जैसे लक्ष्यों के द्वारा एक लोक सेवक के कार्यों का मार्गदर्शन हो सकता है और उनके नैतिक दायित्वों को पूरा करने में आने वाली चुनौतियाँ हल हो सकती हैं।

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