लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    विद्यापति की कविताओं में विद्यमान भक्ति-भावना का वर्णन कीजिये।

    11 Dec, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका
    • विद्यापति की कविताओं में भक्ति-भाव
    • निष्कर्ष

    विद्यापति के ग्रंथ ‘विद्यापति-पदावली’ के पदों को श्रृंगार-परक भक्ति-भावना का प्रतीक माना जा सकता है। वस्तुतः इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण विवाद यह है कि इसे भक्तिपरक माना जाए या श्रृंगारपरक? दोनों संदर्भों के तर्क पर ध्यान देना आवश्यक है।

    जिन आलोचकों ने इन पदों को श्रृंगारिक माना उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण हैं- आचार्य रामचंद्र शुक्ल। उन्होंने लिखा है कि- “आध्यात्मिक रंग के चश्में आजकल बहुत सस्ते हो गए हैं। उन्हें चढ़ाकर जैसे कुछ लोगों ने गीतगोविंद को आध्यात्मिक संकेत बताया है, वैसे ही विद्यापति के इन पदों को भी।” रामकुमार वर्मा, बाबूराम सक्सेना, बच्चन सिंह तथा निराला ने भी विद्यापति की भक्ति-भावना को शृंगारपरक माना है।

    इन पदों को शृंगारिक मानने का मूल तर्क यह है कि यदि यह भक्ति की रचना होती तो इसमें सिर्फ संयोग वर्णन पर ही बल क्यों दिया जाता? पुनः ईश्वर का अश्लील वर्णन करना किस प्रकार की भक्ति है? दूसरा तर्क यह है कि विद्यापति मूलतः शैव थे, वैष्णव नहीं। इसलिये यदि उन्हें भक्ति ही करनी होती तो वे शिव-पार्वती की करते, ना कि कृष्ण राधा की।

    ग्रियर्सन, बाबू श्यामसुंदर दास, बाबू ब्रजनंदन सहाय इत्यादि ने विद्यापति को भक्त कवि माना है। इनका तर्क यह है कि यदि विद्यापति के गीत श्रृंगारिक या अश्लील होते तो इन्हें मंदिरों में क्यों गाया जाता? दूसरा तर्क यह है कि बाद के बहुत से भक्तों जैसे- कृष्णदास और गोविंद दास ने विद्यापति की कविताओं को भक्तिपरक माना है। एक तर्क यह भी है कि राधा व कृष्ण के संयोग का महाकाव्यात्मक वर्णन करने के बावजूद यदि सूरदास को भक्त माना जाता है तो विद्यापति को क्यों नहीं माना जा सकता है?

    वस्तुतः इस विवाद का कोई सर्वमान्य हल निकल सके यह संभव नहीं। विद्यापति की रचना के यह पद श्रृंगार व भक्ति के समन्वित रूप हैं और ऐसा होने का मूल कारण यह भी है कि श्रृंगार तथा भक्ति के स्थायी भाव ‘रति’ तथा ‘ईश्वरविषयक रति’ इतने निकट है कि इनके परस्पर मिश्रित होने की संभावना बनी ही रहती है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2