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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हिंदी गद्य के विकास में बालकृष्ण भट्ट के योगदान का वर्णन कीजिये।

    05 Dec, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका
    • हिंदी गद्य के विकास में बालकृष्ण भट्ट के योगदान
    • निष्कर्ष

    ‘हिंदी प्रदीप’ के संपादक बालकृष्ण भट्ट भारतेंदु मंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे। इन्होंने नाटक, उपन्यास, निबंध, आलोचना, पत्रकारिता, पुस्तक समीक्षा आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ योगदान दिया है।

    भट्ट जी भारतेंदु तथा द्विवेदी युग को जोड़ने वाले व्यक्ति थे। इन्होनें यूँ तो भावनात्मक, वर्णनात्मक, कथानक तथा विचारात्मक सभी प्रकार के निबंध लिखे हैं किंतु उनके विचारात्मक निबंध अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। ‘चंद्रोदय’, ‘एक अनोखा स्वप्न’, ‘प्रेम के बाग का सैलानी’, “साहित्य जब समूह के हृदय का विकास है” आदि इनके प्रमुख निबंध हैं।

    भट्ट जी ने कविताओं के स्थान पर गद्यात्मक लेखन को प्रधानता दी है। आलोचना के क्षेत्र में भी इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है। भट्ट जी ने ‘हिंदी प्रदीप’ में लाला श्रीनिवासदास के नाटक ‘संयोगिता स्वयंवर’ की ‘सच्ची समालोचना’ नाम से व्यावहारिक आलोचना की, जिसे हिंदी साहित्य की पहली व्यावहारिक आलोचना माना जाता है।

    इन्होंने अनेक नाटकों का प्रणयन भी किया है, जिनमें ‘कलिराज की सभा’, ‘चंद्रसेन’, ‘खेल’, ‘रेल का टिकट’, ‘बाल विवाह’ आदि प्रमुख हैं, इतना ही नहीं भट्ट जी ने ‘नूतन ब्रह्मचारी’ नामक एक उपन्यास भी लिखा है।

    गद्य की भाषा के संदर्भ में उनका मानना था कि भाषा का विषय विभिन्न भाषाओं के शब्दों के आदान-प्रदान से ही होता है। उनका प्रसिद्ध कथन है कि- “बहुत से लोगों का मत है कि लिखने-पढ़ने की भाषा से यावनिक शब्दों को बीन-बीनकर अलग करते रहें। कलकत्ता और बंबई के कुछ पत्र ऐसा करने का कुछ यत्न भी कर रहें हैं, किंतु ऐसा करने से हमारी हिंदी बढ़ेगी नहीं, वरन दिन-दिन संकुचित होती जाएगी। भाषा के विस्तार का सदा यह क्रम रहा है कि किसी भी देश के शब्दों को हम अपनी भाषा में मिलाते जाएँ और उसे अपना करते रहे।”

    स्पष्ट है कि भट्ट जी ने आधुनिक काल के हिंदी साहित्य का बहुविधा संवर्द्धन किया है। नवजागरण कालीन संक्रमण के दौर में हिंदी साहित्य में गद्य की विविध विधाओं के प्रवर्तन तथा विकास में योगदान के लिये इनका प्रयास सराहनीय माना जाता है।

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