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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्रांति के पश्चात् तैयार किये गए अमेरिकी संविधान की रचना को प्रभावित करने वाले तत्त्वों की चर्चा करें।

    21 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • अमेरिकी क्रांति की संक्षिप्त चर्चा ।
    • अमेरिकी क्रांति को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन।

    स्वतंत्रता के पश्चात् राष्ट्र निर्माण को पूर्णता तक पहुँचाने  के लिये विषमरूपी तथा बहुलवादी विभिन्न रीति-रिवाजों से युक्त अमेरिकी समाज को एकसूत्र में बांधने हेतु संविधान की आवश्यकता थी। ऐसी जटिल परिस्थितियों में अमेरिकी संविधान निर्माण को निम्नलिखित तत्त्वों ने प्रभावित किया:

    • विश्व के अनेक देशों में उस काल में राजतंत्रात्मक शासन प्रणाली थी। फलतः नागरिक स्वतंत्रता बाधित होती थी। जिसको दूर करने के लिये ज़रूरी था कि एक गणतंत्रात्मक सरकार का गठन हो, इसलिये अमेरिकी संविधान में गणतंत्र की स्थापना की बात की गई।
    • क्रांति के दौरान तेरह उपनिवेशों ने एकजुट होकर काम किया। अब मुद्दा ‘अनेक से एक’ (one out of many) का था। इस आवश्यकता की पूर्ति के लिये संघीय शासन प्रणाली की स्थापना की गई।
    • एक शक्तिशाली केंद्र की स्थापना की गई ताकि राज्य अपने निहित स्वार्थों के कारण आगे चलकर स्वतंत्र होने का प्रयास न कर सके। यही वज़ह है कि अमेरिकी संविधान में ‘अविनाशी राज्यों का अविनाशी संघ’ शब्द का प्रयोग किया गया।
    • राज्यों में आपसी विवादों तथा व्यापारिक संबंधों के नियमन हेतु भी एक मज़बूत केंद्र की स्थापना की गई। संघीय शासन को चलाने हेतु एक राष्ट्रीय विधायिका का निर्माण किया गया जिसमें दो सदनों- उच्च सदन (सीनेट), निम्न सदन (प्रतिनिधि सभा) का प्रावधान किया गया।
    • सरकार की शक्ति किसी एक के हाथ में केंद्रित न हो तथा कार्यपालिका ही सर्वशक्तिमान न हो जाए इसलिये संविधान में कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका के मध्य शक्तियों के विभाजन का सिद्धांत अपनाया गया।
    • राज्यों को पर्याप्त महत्त्व देते हुए कानून के निर्माण में उनकी सहभागिता को भी महत्त्व देना ज़रूरी था। अतः संविधान संशोधन प्रक्रिया में यह प्रावधान किया गया कि प्रत्येक सदन के दो-तिहाई मतों के आधार पर कांग्रेस संविधान संशोधन का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकेगी।
    • राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को वाणिज्यिक सौदागरों के चंगुल से मुक्त कर एक स्वतंत्र आर्थिक नीति का निर्माण करना आवश्यक था। अतः सिक्के ढालने, सरकारी नोट जारी करने, विदेशों के ऋण भुगतान तथा प्राप्ति से संबंधित अधिकार संघ को दिये गए।

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