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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    लंबे समय से श्रम कानूनों के संदर्भ में एक बड़े सुधार की मांग को देखते हुए सरकार ने 'मज़दूरी संहिता (केंद्रीय) नियम -2020’ का प्रावधान किया इस नियम के मुख्य बिंदुओं की चर्चा करते हुए बताएं कि यह किस प्रकार मज़दूरों को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

    20 Nov, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मज़दूरी संहिता (केंद्रीय) नियम -2020’ के मुख्य बिंदु
    • सकारात्मक प्रभाव
    • निष्कर्ष

    हाल ही में ‘केंद्रीय श्रम और रोज़गार मंत्रालय’ द्वारा आधिकारिक गजट के माध्यम से ‘मज़दूरी संहिता अधिनियम, 2019’ के कार्यान्वयन के लिये तैयार नियमों का मसौदा प्रस्तुत किया गया है। गजट में इसका नाम ‘मजदूरी संहिता (केंद्रीय) नियम -2020’ रखा गया है। इस मसौदे में मुख्य तौर पर चार श्रम कानून जिसमें न्यूनतम मज़दूरी कानून, मज़दूरी भुगतान कानून, बोनस भुगतान कानून और समान पारितोषिक कानून को समाहित किया गया है।

    प्रमुख बिंदु-

    • केंद्र सरकार देश में सक्रिय 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं के द्वारा प्रतिस्थापित करने की दिशा में कई बड़े सुधार प्रस्तावित किए हैं।
    • वर्तमान में देश में लागू न्यूनतम वेतन कानून और वेतन भुगतान कानून उन श्रमिकों पर लागू होते हैं जो मज़दूरी सीमा के नीचे आते हैं। अर्थात अब तक कानून के तहत 24 हजार रुपये पाने वाले कर्मचारियों की ही ज़रूरी कटौती और वेतन देने की समय सीमा तय थी, नए कानून के तहत सभी कर्मचारियों को ये सुविधा मिलेगी
    • इस मसौदे में प्रस्तावित बदलावों के माध्यम से देश के लगभग 50 करोड़ कामगारों को लाभ प्राप्त होगा।
    • भारतीय संविधान के तहत ‘श्रम’ को ‘सातवीं अनुसूची’ के अंतर्गत ‘समवर्ती सूची’ का हिस्सा, वस्तुतः केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को इससे जुड़े कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है।
    • पूर्व में देश के सभी राज्यों द्वारा अपनी-अपनी परिस्थितियों के आधार पर न्यूनतम मज़दूरी तय की जाती थी।

    लाभ:

    • वर्तमान में मात्र 7% लोग ही न्यूनतम मज़दूरी के दायरे में आते हैं, परंतु इस संहिता के माध्यम से सभी कामगारों को निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी के दायरे में लाया जा सकेगा।
    • वर्तमान में मज़दूरी के संदर्भ में विभिन्न श्रम कानूनों में अलग-अलग परिभाषाएं दी गई हैं। इससे कानूनों के क्रियान्वयन में जटिलता के साथ कानूनी विवाद भी बढ़ता है। अतः इस संहिता के माध्यम से श्रम कानूनों से जुड़ी जटिलताओं को दूर करते हुए इससे जुड़े विवादों में कमी लाने में सहायता प्राप्त होगी।
    • इस मसौदे में कामकाजी घंटों के संदर्भ में अस्पष्टता को दूर करते हुए केंद्र सरकार द्वारा इसे 8 घंटे के लिये निर्धारित किया गया है, इसके बाद के कार्य/श्रम को ओवर-टाइम के रूप में गिना जाएगा।
    • एक कार्यदिवस में कुल कामकाजी घंटे (ओवर-टाइम और विश्राम अंतराल सहित) 12 घंटों से अधिक नहीं होंगे।
    • इस संहिता के तहत पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिये दो प्रावधान किये गए हैं-पत्रकारों के न्यूनतम पारिश्रमिक का निर्धारण करने के लिये एक अलग तकनीकी समिति का गठन किया जा सकता है। साथ ही एक त्रिपक्षीय सलाहकार समिति सरकार को सुझाव देने का कार्य करेगी।
    • इस संहिता के अंतर्गत श्रमिकों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दिया गया है, इसके तहत न्यूनतम मज़दूरी न मिलने पर कोई भी श्रमिक निकटतम मजिस्ट्रेट कोर्ट में नियोक्ता के खिलाफ अपील दायर कर सकता है।

    उल्लेखनीय है कि वर्ष 1930 से विभिन्न श्रम कानूनों में सुधार के प्रयास होते रहे हैं, ऐसे में लंबे समय से श्रम कानूनों के संदर्भ में एक बड़े सुधार की मांग की जा रही थी और मजदूरी संहिता (केंद्रीय) नियम -2020’ इस संदर्भ में एक बड़ा और लाभकारी कदम साबित होगा।

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