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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या आप इस मत से सहमत है कि पूंजी की उपलब्धता एवं भौगोलिक कारकों ने ब्रिटेन को प्रथम औद्योगिक क्रांति का देश बना दिया? परीक्षण करें।

    20 Nov, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण-

    • भूमिका
    • इंग्लैंड तथा अन्य देश
    • इंग्लैंड में ही क्रांति क्यों?
    • निष्कर्ष

    18वीं सदी के उतरार्द्ध से लेकर 19वीं सदी के पूवार्द्ध तक ब्रिटेन में होने वाले आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन को औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है। ‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का सर्वप्रथम इस्तेमाल इतिहासकार ऑर्नाल्ड टायनबी द्वारा किया गया।

    टायनबी के अनुसार इस क्रांति ने मानव जीवन को अत्यधिक तीव्र एवं गहरे रूप से प्रभावित किया था। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि इंग्लैंड औद्योगिक क्रांति का अग्रदूत बना हलांकि हॉलैंड, फ्रांस जैसे देश इंग्लैंड से भी ज्यादा संपन्न थे, जहाँ हॉलैंड भौगोलिक खोजों एवं व्यापार-वाणिज्य में अग्रणी था वहीं फ्रांस का उद्योग (रेशम, पटसन, कोयला, लोहा एवं जल शक्ति के प्रचुर साधन) एवं यहां की जनसंख्या इंग्लैंड से तीगुनी थी। फिर भी इसकी शुरूआत इंग्लैंड से हुयी इसके कई कारण थे -

    • अनुकूल राजनीतिक वातावरणः अन्य यूरोपीय देशों की अपेक्षा इंग्लैंड में राजनीतिक स्थायित्व अधिक था। जहां कि जनता को स्वच्छंद वातावरण के साथ-साथ राजनीतिक अधिकार भी दिये गये थे जिससे व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि हुयी जबकि इस समय यूरोप के अन्य देशों में सामंती व्यवस्था के साथ-साथ राजनीतिक अराजकता व्याप्त थी।
    • भौगोलिक स्थितिः इंग्लैंड चारों ओर समुद्र से घिरा हुआ देश है इससे व्यापारिक गतिविधियों में सुविधा प्राप्त हुयी अर्थात् वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने में आसानी हुयी। साथ ही आंतरिक एवं बाह्य परिवहन ने औद्योगिक क्रांति के लिये उत्प्रेरक का कार्य किया। समुद्र से घिरे होने के कारण यहां की जलवायु नम थी जो कपड़ा उद्योग के लिये उपयुक्त था।
    • सुदृढ़ नौसेनिक शक्तिः ब्रिटेन ने एक शक्तिशाली जहाजरानी का विकास किया। समुद्र से घिरे होने के कारण अपने नौसैनिक बल पर विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित करने में सफल रहा। यूरोप के अन्य देशों की स्थिति ब्रिटेन जैसी नहीं थी। अतः युद्ध के समय भी ब्रिटेन का व्यापार जारी रहा।
    • प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरताः कोयला एवं लोहा खनिज औद्योगिक विकास के लिये आधारभूत तत्व माने जाते हैं जो इंग्लैंड में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी। अतः इसने औद्योगिक क्रांति को गति प्रदान की।
    • कृषि क्रांतिः कृषि क्षेत्र में नवीन तकनीकी कृषि यंत्र एवं विधियों के कारण कृषि उत्पादन क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन आया। इससे कृषि भू-स्वामी को अत्यधिक लाभ मिला इस अधिशेष पूंजी का उपयोग भू-स्वामियों ने औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश पर किया। हलांकि इस कृषि क्रांति ने खेतिहर मजदूर को बेरोजगार बना दिया। फलतः ये मज़दूर रोज़गार की तलाश में शहर की ओर प्रवास करने लगे जिससे उद्योगों में कम मजदूरी पर श्रमिक कार्य करने के लिये तैयार हुये।
    • जनसंख्या वृद्धिः इंग्लैंड में जनसंख्या वृद्धि के कारण वस्तुओं की मांग बढ़ी जिससे कीमतों में भी उछाल आया फलतः उत्पादन में और वृद्धि की गयी। हालांकि जनसंख्या में वृद्धि यूरोप के अन्य देशों में भी हो रही थी परंतु इंग्लैंड ने जनसंख्या को वस्तुओं की पूर्ति में सक्षम बना तथा जनसंख्या (बढ़ी हुयी) को रोज़गार उपलब्ध कराये। अतः जनसंख्या एवं श्रम शक्ति ने औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा दिया।
    • इंग्लैंड का औपनिवेशिक विस्तारः कच्चे माल की प्राप्ति एवं तैयार माल की बिक्री के लिये उपनिवेश एक अच्छा बाजार साबित हुआ। विस्तृत बाजार ने पूंजीपतियों को उद्योगों में पूंजी निवेश के लिये प्रोत्साहित किया जिससे औद्योगिक क्रांति की संभावनाओं को बल मिला।
    • पूंजी की उपलब्धताः किसी भी औद्योगिक विकास के लिये पूंजी एक आवश्यक कारक है। चूंकि इंग्लैंड ने भारत, अमेरिका तथा अन्य उपनिवेशों से खूब पूंजी का संचय किया था तथा व्यावसायिक क्रांति का सर्वाधिक लाभ इंग्लैंड को ही मिला था। साथ ही व्यापारिक बैंको ने भी पूंजी उपलब्ध कराने में मदद की थी। जहां अन्य यूरोपीय देशों में पूंजीपति वर्ग में अपनी पूंजी का प्रयोग भूमि खरीदने, भवन निर्माण एवं अपने शानों-शौकत में खर्च किया वहीं इंग्लैंड के पूंजीपतियों ने अपननी पूंजी का प्रयोग उद्योगों में निवेश के रूप में किया।
    • वैज्ञानिक प्रगति एवं नवीन अविष्कारः इंग्लैंड में अन्य यूरोपीय देशों की अपेक्षा वैज्ञानिक वातावरण एवं वैज्ञानिक विचारों का प्रभाव सर्वप्रथम पड़ा। जहां कपड़ा बुनने के लिये फ्लाइंग शटल तेजी से अथवा तीव्र गति से सूत कातने के लिये ‘स्पिनिंग जेनी का अविष्कार हुआ आगे चलकर वस्त्र उद्योग में ‘पावरलूम’ के विकास ने बढ़िया किस्म के कपड़ों को उत्पादित करने में मदद की वहीं स्टील उत्पादन हेतु नए यंत्र का अविष्कार हुआ नये-नये कोयला खदानों की खोज हुयी तथा 1815 में डेवी द्वारा सेफ्टी लैंप की खोज ने खानों के भीतर काम करने में सुगम बनाया।

    वहीं कच्चे माल को कारखानों तक लाने तथा उत्पादित/तैयार माल को बाजार तक ले जाने के लिये परिवहन एवं सड़कों का निर्माण हुआ। साथ ही रेल लाइन बिछाने, स्वेज नहर का निर्माण कार्य पूरा होने (भूमध्य सागर एवं लाल सागर को जोड़ा गया जिससे यूरोप एवं भारत के बीच की दूरी एक तिहाई घट गयी) वाष्प इंजन का विकसित रूप तैयार किया गया।

    इस प्रकार न केवल पूँजी उपलब्धता और भौगोलिक कारक अपितु उपर्युक्त सभी कारकों ने मिलकर इंग्लैंड को औद्योगिक क्रांति का अग्रदूत बना दिया।

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