वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीन क्या है? ई.वी.एम पर उठ रहे विवाद के संदर्भ में वीवीपैट का प्रयोग निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने में कितना उपयोगी हो सकता है? समीक्षा कीजिये।
13 Nov, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
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वीवीपैट मशीन को ईवीएम के साथ संबद्ध करने का प्रमुख उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पारदर्शिता एवं निष्पक्षता को सुनिश्चित करते हुए इसकी उपयोगिता को प्रासंगिकता प्रदान करना है। यद्यपि इस दिशा में कामयाबी मिली है लेकिन इसे प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करने के लिये अभी काफी कुछ किया जाना शेष है।
वीवीपैट के विषय में उल्लेख निम्नलिखित रूपों में वर्णित है-
वीवीपैट को ईवीएम के साथ जोड़ा जाता है। मतदाता द्वारा वोट डालने के तुरंत बाद कागज़ की एक पर्ची बनती है। इस पर्ची पर जिस उम्मीदवार को वोट दिया गया है, उसका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। यह व्यवस्था इसलिये है ताकि किसी तरह का विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोटों के साथ पर्ची का मिलान किया जा सके।
ईवीएम पर उठ रहे विवाद निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर प्रस्तुत हैं-
एक उम्मीदवार को दिया गया वोट दूसरे उम्मीदवार को मिलने या फिर उम्मीदवारों को वे मत भी मिलने जो कभी डाले ही नहीं गए।
प्रोफेसर जे. एलेक्स हाल्डरमैन की मोबाइल फोन से संदेश भेजकर ईवीएम मशीन के नतीजे को प्रभावित करने की बात, मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल. वेंकटेश्वर लू के द्वारा ईवीएम मशीनों में खराबी की पुष्टि ने ईवीएम को हैक कर इसकी प्रोग्रामिंग को प्रभावित करने की आशंका जैसे विवादों को पुन: प्रकाश में ला दिया।
मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले के अटेर में ईवीएम मशीन के डेमो के दौरान किसी भी बटन को दबाने पर वीवीपैट पर्चा किसी एक ही राष्ट्रीय पार्टी का निकलने की पुष्टि राज्य निर्वाचन अधिकारी सेलिना सिंह और इस मामले की जाँच करने पहुँची चुनाव आयोग की टीम ने भी की है।
वीवीपैट की पारदर्शिता सुनिश्चित करने में उपयोगिता की सीमा का उल्लेख निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर वर्णित है-
वीवीपैट से प्राप्त पर्ची में उम्मीदवार का नाम व चुनाव चिह्न छपे होने से मतदान में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना समाप्त होती है। इससे किसी तरह का विवाद होने की स्थिति में ईवीएम में पड़े मत के साथ पर्ची का मिलान किया जा सकता है। पर्ची सिर्फ सात सेकंड तक रहती है और उसके बाद वो डिब्बे में चली जाती है। किसी भी किस्म की आपत्ति होने पर मतदाता इसकी शिकायत तुरंत कर सकता है।
इसके माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘सुब्रमण्यम स्वामी बनाम चुनाव आयोग, 2013’ मामले में दिये गए दिशा-निर्देश के अनुरूप नि:शुल्क एवं निष्पक्ष चुनावों के उद्देश्य की पूर्ति होती है। इससे कागज़ी ऑडिट द्वारा ईवीएम परिणामों की क्रॉस-चेकिंग या दोबारा जाँच सुनिश्चित हो पाती है। यह मत को परिवर्तित करने या नष्ट करने जैसे कुप्रयासों के लिये अतिरिक्त बाधा के रूप में कार्य करती है।
मध्य प्रदेश में किसी भी बटन को दबाने पर वीवीपैट पर्चा भारतीय जनता पार्टी का निकलने और कैराना एवं नूरपुर विधानसभा में गड़बड़ी के चलते वीवीपैट को बदलने की घटना व उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एल. वेंकटेश्वर लू द्वारा वीवीपैट मशीनों में तकनीकी खराबी का कारण गर्मी को बताना जिसका खंडन चुनाव आयोग के सलाहकार रहे क.जे. राव ने भी किया, इसकी दक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न है।
ईवीएम व वीवीपैट दोनों की निर्धारित समय-सीमा के अंतर्गत आवश्यक तकनीकी जाँच, चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था, स्पष्ट और प्रभावी उत्तरदायित्व एवं जवाबदेही, सभी ईवीएम मशीनों को वीवीपैट से जोड़ने जैसे प्रयासों के द्वारा विवादों के समाधान एवं पारदर्शिता को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जा सकता है।