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प्रश्न :
अर्थव्यवस्था के विश्लेषकों के अनुसार COVID-19 की महामारी के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों ने देश के ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम’ (MSMEs) उद्योग क्षेत्र को सर्वाधिक प्रभावित किया है। वर्तमान में इस क्षेत्र की मुख्य चुनौतियां क्या हैं? इस क्षेत्र में सुधार हेतु किन उपायों को अपनाया जा सकता है।
13 Nov, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भूमिका
- MSME क्षेत्र की चुनौतियां
- इसमें सुधार हेतु उपाय
वर्तमान में भारत के विभिन्न भागों में स्थित अनेक MSME लगभग 11 करोड़ लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराते हैं। आज देश में अधिकांश MSME पहले से ही तरलता की कमी से जूझ रहे थे परंतु लॉकडाउन के कारण व्यापार प्रभावित होने से इनकी समस्या और अधिक बढ़ गई है।
भारत में MSMEs की स्थिति देखें तो वित्तीय वर्ष 2018-19 के आँकड़ों के अनुसार, MSME के तहत भारत में लगभग 6.34 उद्यम सक्रिय हैं, इनमें से अधिकांश (लगभग 51%) देश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। वर्तमान में MSMEs लगभग 11 करोड़ लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराते हैं हालाँकि इनमें से अधिकांश (लगभग 55%) रोज़गार शहरी क्षेत्रों में स्थित MSME द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इनमें से 12.5% अनुसूचित जाति, 4.1% अनुसूचित जनजाति और 49.7% अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित हैं।
वर्तमान में MSMEs की मुख्य चुनौतियाँ:
आँकड़ों का अभाव-
देश में सक्रिय MSMEs सामान्यतः बहुत ही छोटे स्तर पर कार्य करते हैं, जिसके कारण इनमें से अधिकांश का किसी प्रकार का पंजीकरण नहीं कराया गया है।
अधिकांश MSMEs, वस्तु और सेवा कर (GST) की पहुँच से बाहर है और वे किसी प्रकार का खाता बनाने, कर देने या अन्य नियमों का पालन करने आदि में भी अधिक सक्रिय नहीं हैं।
इस प्रक्रिया में उनकी कुछ बचत तो होती है परंतु संकट की स्थिति में किसी ठोस आँकड़े के अभाव में ऐसे उद्यमों को सहायता पहुँचा पाना सरकार के लिये भी एक चुनौती बन जाती है।
उदाहरण के लिये वर्तमान आर्थिक संकट के बीच कुछ विकसित देशों में सरकारों ने छोटे उद्यमों में मज़दूरी सब्सिडी और अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराया है, परंतु यह इसलिये संभव हो सका क्योंकि वहाँ छोटे उद्यमों के बारे में भी विश्वसनीय आँकड़े उपलब्ध थे।
आर्थिक चुनौतियाँ-
- MSME क्षेत्र में वित्तपोषण की कमी इस क्षेत्र के लिये सबसे सबसे बड़ी चुनौती है, वर्ष 2018 में जारी ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, MSME क्षेत्र को औपचारिक बैंकिग प्रणाली द्वारा MSMEs की कुल आवश्यकता का एक-तिहाई से कम ही ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
- भुगतान में बिलंब होना - यह MSMEs के लिये दूसरी बड़ी चुनौती है चाहे वह खरीदारों से हो या GST रिफंड आदि के तहत मिलने वाली राशि।
- विशेषज्ञों के अनुसार, COVID-19 महामारी के पहले से ही MSMEs की आय में गिरावट और अन्य कई समस्याओं से जूझ रहे थे, परंतु लॉकडाउन के बाद कई उद्यमों के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह उठने लगे हैं।
- हाल ही में जारी एक सर्वे में ‘लघु और मध्यम’ श्रेणी के केवल 7% उद्यमों ने माना कि वे वर्तमान में उपलब्ध पूंजी के माध्यम से तीन महीने से अधिक तक कारोबार बंद होने की स्थिति में भी उद्यम को बचाए रखने में सक्षम होंगे।
- साथ ही अधिकांश श्रमिकों के पलायन के कारण इन उद्यमों को पुनः शुरू कर पाना एक बड़ी चुनौती होगी।
उपाय:
- RBI द्वारा MSME क्षेत्र में तरलता की कमी को दूर करने के कई प्रयास किये गए हैं, परंतु संरचनात्मक जटिलताओं (प्रत्यक्ष बैंकिंग प्रणाली से न जुड़ा होना, आँकड़ों का आभाव) के कारण इसके सीमित प्रभाव दिखाई दिये हैं। अतः इन जटिलताओं को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
- सरकार कर में कटौती, रिफंड प्रक्रिया में तेज़ी के साथ विभिन्न योजनाओं (जैसे- पीएम किसान, जन धन योजना आदि) के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में तरलता और MSME उत्पादों की मांग में वृद्धि कर MSMEs को सहायता पहुँचा सकती है। MSMEs को दिया गया अधिकांश ऋण संपत्ति के मूल्य पर आधारित होता है परंतु वर्तमान में COVID-19 महामारी के कारण संपत्तियों के मूल्यों में भारी गिरावट हुई है, जो नए ऋण जारी होने में एक बाधा बन गया है।अतः इस क्षेत्र को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता है
उपरोक्त के अलावा ऐसे में यदि सरकार की तरफ से MSME ऋण के लिये एक ‘क्रेडिट गारंटी’ जारी की जाती है तो यह MSMEs के लिये काफी मददगार साबित हो सकती है।
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