नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ऐसा माना जाता है कि ‘योजना के कुशल कार्यान्वयन के अभाव में योजना की सफलता सुनिश्चित नहीं की जा सकती।’ भारत में विभिन्न योजनाओं की असफलता के मूल कारणों का संक्षिप्त में उल्लेख करते हुए समाधान के उपायों पर प्रकाश डालें ।

    10 Nov, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका
    • संक्षिप्त में योजनाओं की असफलता के मूल कारण
    • समाधान के उपायों

    1985 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि “सरकार द्वारा खर्च किये गए प्रत्येक 1 रुपए में से मात्र 15 पैसे ही गरीबों तक पहुँच पाते हैं।” भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री का यह कथन स्पष्ट तौर पर पंक्ति के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के कल्याण हेतु निर्मित योजनाओं के कुशल कार्यान्वयन की महत्ता को दर्शाता है।

    भारत में हमेशा से ही सरकारों ने गरीबों और समाज के हाशिये पर मौजूद लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये योजनाओं का निर्माण किया है, परंतु इन योजनाओं के निर्माण में कभी भी उनके कार्यान्वयन पर ध्यान नहीं दिया गया और शायद यही कारण है कि कल्याण के उद्देश्य से बनाई गई विभिन्न योजनाएँ बुनियादी सुविधाओं तक आम लोगों की पहुँच भी सुनिश्चित नहीं कर पाई हैं।

    योजनाओं का अकुशल कार्यान्वयन के प्रमुख कारण-

    स्वतंत्रता के बाद से ही भारत सरकार गरीबों का कल्याण सुनिश्चित कर देश को और अधिक समृद्ध बनाने का प्रयास विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करने का प्रयास कर रही हैं, परंतु इतनी अधिक योजनाओं के बावजूद उनका प्रभाव काफी सीमित दिखाई देता है। किसानों द्वारा आत्महत्या, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे विभिन्न घटनाक्रम देश में विकास योजनाओं की सफलता के दावों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हैं।

    इसके पीछे निम्नलिखित मुख्य कारण हैं -

    सरकार द्वारा निर्मित विभिन्न योजनाओं में गरीबों का कल्याण एवं उत्थान का लक्ष्य स्पष्ट दिखाई देता है, परंतु वे सभी कार्यान्वयन के स्तर पर असफल हो जाती हैं। उदाहरण के लिये देश में महिला सशक्तीकरण और महिलाओं के उत्थान हेतु कई योजनाएँ जैसे- बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, स्वाधार गृह योजना, नारी शक्ति पुरस्कार और महिला ई-हाट आदि बनाई गई हैं, परंतु इन सब के बावजूद देश में महिलाओं की स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं आ पाया है और आज भी उन्हें अपने अधिकारों हेतु संघर्ष करना पड़ता है।

    ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि कौन से कारण हैं जिनके परिणामस्वरूप हम योजना के कार्यान्वयन स्तर पर उनकी सफलता सुनिश्चित नहीं कर पाते? विशेषज्ञों का मनना है कि इसके पीछे निगरानी तंत्र का अभाव, जवाबदेही की कमी और भ्रष्टाचार को मुख्य कारण हैं। उदाहरण के लिये CAG की वर्ष 2013 की रिपोर्ट के अनुसार, धन के गबन और हेराफेरी के कारण ही बिहार और कर्नाटक में मनरेगा योजना सफल नहीं हो सकी थी।

    वर्ष 2018 में हुए एक अध्ययन में सामने आया था कि देश के लगभग 70 प्रतिशत युवाओं में रोज़गार को बढ़ावा देने हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे बहुप्रचारित कौशल विकास कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता की कमी है। ऐसे में जब तक योजना से संबंधित हितधारकों को ही उसकी सुस्पष्ट जानकारी नहीं होगी तब तक उस योजना के कुशल कार्यान्वयन को सुनिश्चित नहीं किया जा सकेगा।

    उपाय-

    मौजूदा समय में ऐसी कई योजनाओं के उदाहरण हैं जिनके विश्लेषण से किसी भी योजना के कुशल कार्यान्वयन तंत्र के निर्माण संबंधी उपायों की खोज की जा सकती है। इस प्रकार के उपाय या मार्गदर्शक सिद्धांत किसी भी योजना के कार्यान्वयन पर लागू किये जा सकते हैं।

    • अलग-अलग पदों पर आसीन लोगों की अलग-अलग प्राथमिकताएँ हो सकती हैं। किसी भी योजना के कुशल कार्यान्वयन के लिये आवश्यक है कि शासनिक पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद लोगों की प्राथमिकताओं और लक्ष्यों में एकरूपता लाई जाए। PM-CM-DM मॉडल इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण और परिवर्तनकारी कदम हो सकता है।
    • जब लक्ष्य अपेक्षाकृत कठिन होता है तो लक्ष्य की प्राप्ति हेतु कार्य कर रहे लोगों को वह असंभव सा प्रतीत होता है जिसके कारण वे अपने आप को लक्ष्य की प्राप्ति के लिये अभिप्रेरित नहीं कर पाते और इस कार्य हेतु यथासंभव प्रयास भी नहीं करते। योजना के कुशल कार्यान्वयन हेतु आवश्यक है कि एक ऐसे दल का गठन किया जाए जो योजना के सफल कार्यान्वयन पर विश्वास करता हो और इस संदर्भ यथासंभव प्रयास कर सके।
    • योजना के संबंध में आम लोगों को जागरूक करना भी योजना की सफलता के लिये आवश्यक माना जाता है। योजना के संबंध में सभी स्तरों पर संवाद काफी आवश्यक होता है। इस कार्य हेतु स्वयंसेवकों अर्थात् वालंटियर्स का एक ग्रुप बनाया जा सकता है जो ज़मीनी स्तर पर योजना के संबंध में आम लोगों से संवाद कर सकें। साथ ही प्रसिद्ध हस्तियों को योजना से जोड़ना भी इस संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
    • योजना के कुशल कार्यान्वयन के लिये समय-समय पर उसकी प्रगति कार्यों का मूल्यांकन करना भी आवश्यक है। साथ ही योजना के संबंध में विभिन्न अनुसंधान को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। अनुसंधानों और मूल्यांकनों के परिणामों में योजना के संबंध में जो भी कमियाँ सामने आती हैं उन्हें सुधारा जाना भी उतना ही आवश्यक है।

    निष्कर्षतः जितना महत्त्वपूर्ण किसी योजना का निर्माण होता है उतना ही महत्त्वपूर्ण उस योजना का क्रियान्वयन होता है और योजना के कुशल कार्यान्वयन के अभाव में योजना की सफलता सुनिश्चित नहीं की जा सकती। आवश्यक है कि उक्त मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करते हुए विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए ताकि समाज के हाशिये पर मौजूद लोगों का विकास भी संभव हो सके।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow