हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने दिवालिया और शोधन अक्षमता कोड (IBC) को प्रमुख विधायी सुधारों में से एक के रूप में उल्लिखित किया। IBC के प्रमुख बिंदुओ को समझाते हुए बताएं कि यह किस प्रकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों हेतु लाभदायक सिद्ध हो सकता है?
30 Oct, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण
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केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम उठाते हुए एक नया दिवालियापन संहिता संबंधी विधेयक पारित किया। दिवालिया एवं शोधन अक्षमता कोड- 2016 आरोपी प्रबंधन के विरुद्ध शेयरधारकों, लेनदारों और कामगारों के हितों की सुरक्षा के लिये लाया गया है। इसके प्रावधानों के तहत डिफॉल्ट के मामले में किसी बैंकिंग कंपनी को दिवालिया समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिये निर्देशों हेतु आरबीआई को प्राधिकृत करने के लिये लागू किया गया है।
दिवालिया और शोधन अक्षमता कोड (IBC), 2016 लाने तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का NPA चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुका था। इन चिंताओं को दूर करने के लिये यह कानून बनाया गयाइस कोड ने देश में कर्ज़ दाताओं और कर्ज़ लेने वालों के संबंधों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है।इस कोड के कार्यान्वयन की प्रक्रिया कुछ निश्चित शर्तों और नियमों द्वारा संचालित है। कुछ मामलों में अपीलों और उसके विरोध में अपीलों तथा मुकदमेबाज़ी के कारण कई बार यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद यह बाधा दूर हो गई है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के लिये है लाभदायक-
सूक्ष्म, लघु और मध्यम क्षेत्र के उद्यम बड़े नियोक्ता के रूप में कृषि क्षेत्र के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। रोज़गार सृजन और आर्थिक विकास के मामले में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम की महत्ता को समझते हुए सरकार ने इस कोड के अंतर्गत विशेष छूट प्रदान की हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के प्रवर्तकों को अपनी कंपनियों के लिये बोली लगाने की अनुमति तब तक दी जाती है जब तक वे विलफुल डिफॉल्टर्स नहीं होते हैं और किसी अन्य संबंधित अयोग्यता को प्रदर्शित नहीं करते हैं। इसने मौजूदा एक्ट की धारा 29 (ए) में विसंगति को ठीक किया है जिसने संपत्ति को डिफॉल्ट करने वाले प्रमोटर्स को अपनी एसेट्स के लिये बोली लगाने से रोक दिया था।
दिवालिया और शोधन अक्षमता कोड ने व्यापार करने के लिये अनुकूल माहौल का सृजन किया है, निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को सहायता प्रदान करते हुए उद्यमिता को प्रोत्साहित करने में सहायता प्रदान की है।
इस प्रकार के प्रोत्साहन निश्चित रूप से विदेशी और घरेलू निवेशकों दोनों में अधिक विश्वास पैदा करेंगी क्योंकि भारत अब एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित हो रहा है।