वर्तमान परिदृश्य में निम्नलिखित कथन की प्रासंगिकता को स्पष्ट करें।
‘‘प्रत्येक भारतवासी का यह भी कर्त्तव्य है कि वह ऐसा न समझे कि उसने अपने व अपने परिवार के लिये कमा लिया तो सबकुछ कर लिया। उसे अपने समाज के कल्याण के लिये दिल खोलकर खर्च करना चाहिये।’’ - महात्मा गांधी
23 Oct, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण
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इस कथन के माध्यम से महात्मा गांधी ने प्रत्येक भारतवासी को समाज के कल्याण के लिये प्रेरित करने का प्रयास किया है। उनके अनुसार व्यक्ति को पारिवारिक तथा सामाजिक ज़िम्मेदारियों के मध्य सामंजस्य बनाकर चलना चाहिये।
गांधीजी द्वारा प्रतिपादित ट्रस्टीशिप के सिद्धांत का भी मूल उद्देश्य उद्योगपतियों को स्वेच्छा से समाज कल्याण हेतु कार्य करने के लिये प्रेरित करना था। समाज में वंचित वर्ग का कल्याण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। इसके लिये जनसहयोग अति आवश्यक है।
वर्तमान उदारवाद के दौर में जब समाज व्यक्ति केंद्रित होता जा रहा है तथा ऑक्सफेम की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अमीरों तथा गरीबों के मध्य का अंतराल बढ़ता जा रहा है तो ऐसी स्थिति में गांधीजी के कथन का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है।
सरकार ने कंपनी अधिनियम 2013 की धारा-135 में कार्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व की संकल्पना को जोड़ा है जिसका उद्देश्य कॉर्पोरेट वर्ग को सामाजिक कार्यों में सहभागी बनाना है।
राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों के अनुच्छेद-39 में वर्णित संपत्ति के एक जगह संचय को रोकना तथा संसाधनों का तर्कपूर्ण वितरण को बढ़ावा देने में भी यह कथन उत्प्रेरक का कार्य करेगा।
वर्तमान में कार्यरत गैर-सरकारी संगठन, स्वयंसेवी संगठन, सिविल संगठन गांधीजी के इसी विचार को बढ़ावा देते हैं।
उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि महात्मा गांधी के इस प्रसिद्ध कथन की प्रासंगिकता वर्तमान समय में पहले से अधिक हो गई है।