नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    किसी भी देश की प्रगति के साथ-साथ उसके नागरिकों के सर्वांगीण विकास के लिये शिक्षा को सबसे महत्त्वपूर्ण आधार माना गया है। हाल ही में प्रस्तुत राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए इसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालें तथा समाधान के बिंदु सुझाएँ।

    21 Oct, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका 
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
    • चुनौतियाँ 
    • समाधान 
    • निष्कर्ष

    देश की स्वतंत्रता से लेकर अब तक आधुनिक भारत के निर्माण में भारतीय शिक्षा प्रणाली की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आधुनिक समय की ज़रूरतों के अनुरूप भारतीय शिक्षा प्रणाली में अपेक्षित बदलाव लाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2020 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ को मंज़ूरी दी गई। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ के माध्यम से भारतीय शिक्षा परिदृश्य में बड़े बदलावों का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। हालाँकि इसकी सफलता प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री से लेकर अन्य सभी हितधारकों द्वारा इसके कार्यान्वयन के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता पर निर्भर करेगी।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020:

    • NEP 2020 को पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में बनी एक समिति की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया है।
    • NEP 2020 का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ शिक्षा में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा के योग्य बनाना है।
    • इसके तहत वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली (क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये) के आधार पर विभाजित किया गया है।
    • NEP 2020 के तहत कक्षा 5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अपनाने और आगे की शिक्षा में मातृभाषा को प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
    • बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री के विकास तथा ‘भारतीय सांकेतिक भाषा’ को पूरे देश में मानकीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है।
    • इसके तहत पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए छात्रों में 21वीं सदी के कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। साथ ही इसके तहत कक्षा 6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा ।
    • इसके तहत तकनीकी शिक्षा, भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने और छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ आधारित सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने की बात कही गई है।
    • इस नीति के तहत शिक्षण प्रणाली में सुधार हेतु ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’ का विकास और चार वर्ष के एकीकृत बी.एड. कार्यक्रम की अवधारण प्रस्तुत की गई है।
    • साथ ही इसके तहत देश में आईआईटी और आईआईएम के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:

    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल कार्यान्वयन हेतु विभिन्न प्रकार के हस्तक्षेपों की आवश्यकता होगी, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय तथा सहयोग, नए कानूनों का निर्माण या मौजूदा कानूनों में संशोधन सहित अन्य विधायी हस्तक्षेप, वित्तीय संसाधनों की वृद्धि और नियामकीय सुधार आदि शामिल हैं।
    • इस नीति में प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च शिक्षा तक पाठ्यक्रम, अवसंरचना, शिक्षण प्रणाली आदि में महत्त्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, हालाँकि इन बदलावों को लागू करने के लिये संसाधनों (धन, योग्य शिक्षकों की नियुक्ति आदि) का प्रबंध एक बड़ी चुनौती होगी।
    • NEP 2020 के तहत वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। गौरतलब है कि वर्तमान में देश में लगभग 1000 विश्वविद्यालय है ऐसे में इतने अधिक छात्रों को शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये बहुत से नए विश्वविद्यालयों की स्थापना करनी होगी।
    • वर्तमान में शिक्षा तंत्र और अन्य संसाधनों के मामले में देश के अलग-अलग राज्यों की स्थिति में भारी अंतर है, गौरतलब है कि वर्ष 2019 में नीति आयोग द्वारा जारी स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक में देश भर में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में भारी अंतर पाया गया है, ऐसे में छात्रों के लिये इन परिवर्तनों के अनुरूप स्वयं को ढालना कठिन होगा।

    समाधान:

    उच्च शिक्षा सुधार हेतु विशेष कार्य बल की स्थापना:

    • प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन हेतु बौद्धिक और सामाजिक पूंजी के निर्माण का एक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है।
    • NEP के सफल कार्यान्वयन हेतु सहयोग के लिये एक विशेष कार्य बल (Task Force) की स्थापना की जानी चाहिये।
    • प्रधानमंत्री का यह कार्य बल एक सलाहकारी निकाय हो सकता है, जिसमें सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षा संस्थानों (Higher Education Institutions- HEIs) के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
    • यह कार्य बल NEP के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को समझने और एक निश्चित जवाबदेही के साथ समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में प्रधानमंत्री की सहायता करेगा।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन हेतु स्थायी समिति:

    • NEP 2020 के सफल कार्यान्वयन एवं इसकी निगरानी हेतु एक स्थायी समिति की स्थापना बहुत ही सहायक सिद्ध हो सकती है।
    • इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा की जाएगी, देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों/संस्थानों के कुलपति/निदेशक इस समिति के सदस्य होंगे।
    • इस समिति को समयबद्ध तरीके से NEP की कार्यान्वयन योजना को तैयार करने और इसकी निगरानी करने का कार्य सौंपा जाएगा।
    • समिति के पास कुछ विशिष्ट शक्तियों के साथ इसमें विषयगत उप-समितियों और क्षेत्रीय समितियों को भी शामिल किया जाएगा।
    • यह समिति उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा NEP 2020 को लागू करने के दौरान आने वाली चुनौतियों को दूर करने में सहायता करेगी।

    राष्ट्रीय शिक्षा मंत्री परिषद:

    • इस परिषद में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा मंत्री शामिल होंगे तथा परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा की जाएगी।
    • यह परिषद राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में NEP के कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण संस्थागत तंत्र होगा।
    • साथ ही यह NEP के कार्यान्वयन के मुद्दों पर चर्चा और समस्याओं के निवारण के साथ राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करेगा।

    इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस में सुधार:

    • प्रधानमंत्री द्वारा ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ (Institutions of Eminence- IoE) की अवधारणा के तहत देश में विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों की स्थापना का दृष्टिकोण पेश किया गया था।
    • वर्ष 2016 के बजटीय भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने भी देश के 10 सार्वजनिक और 10 निजी संस्थानों को विश्व स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान के रूप में विकसित करने के लिये आवश्यक नियमकीय बदलाव की बात कही थी, जिसके बाद देश में IoEs की स्थापना शुरू हुई।
    • वर्तमान में IoE के दृष्टिकोण को NEP कार्यान्वयन योजना के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है और IoEs को अधिक स्वतंत्रता, स्वायत्तता देने के साथ संसाधनों के मामले में सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
    • इसके माध्यम से भारत के विश्वविद्यालयों को वैश्विक विश्वविद्यालय रैंकिंग में अपनी स्थिति में सुधार करने में सहायता मिलेगी।

    राष्ट्रीय उच्च शिक्षा परोपकार परिषद:

    • वर्तमान में देश के 70% उच्च शिक्षण संस्थान निजी क्षेत्र के हैं और 70% से अधिक छात्र उच्च शिक्षा के लिये निजी संस्थानों में प्रवेश करते हैं।
    • भारतीय शिक्षा प्रणाली की पहुँच के विस्तार में निजी शिक्षण संस्थानों की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण रही है।
    • निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षण संस्थानों के संचालन की वित्तीय चुनौतियों और छात्रों के समक्ष आने वाली शुल्क संबंधी चुनौतियों को देखते हुए एक राष्ट्रीय उच्च शिक्षा परोपकार परिषद की स्थापना पर विचार किया जा सकता है।
    • यह परिषद संभावित दाताओं को तीन बंदोबस्ती निधियों (उच्च शिक्षा अवसंरचना, छात्रवृत्ति और शोध अनुदान से संबंधित) की स्थापना के लिये प्रोत्साहित करने हेतु कर प्रणाली में मूलभूत बदलावों को बढ़ावा देने में सहायता कर सकती है।

    अन्य चुनौतियाँ:

    • वर्ष 1968 में जारी की गई पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा पर केंद्रीय बजट का 6% व्यय करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे अगली सभी शिक्षा नीतियों में दोहराया गया परंतु अभी तक इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका है, जो सरकार की नीतिगत असफलता और कमज़ोर राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
    • COVID-19 के कारण देश की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के बीच राज्यों के लिये इन सुधारों को लागू करने के लिये आवश्यक धन एकत्र करना बहुत ही कठिन होगा।

    निष्कर्षतः सरकार के लिये किसी भी नीति के कार्यान्वयन में सफलता हेतु प्रोत्साहन, साधन, सूचना, अनुकूलनशीलता, विश्वसनीयता और प्रबंधन जैसे तत्त्वों पर ध्यान देना बहुत ही आवश्यक है। NEP 2020 के सफल कार्यान्वयन के लिये सरकार को पारदर्शी कार्यप्रणाली और सभी हितधारकों की भागीदारी के माध्यम से विश्वसनीयता बढ़ानी होगी तथा प्रबंधन के प्रभावी सिद्धांतों को विकसित करना होगा। साथ ही सरकार को कानूनी, नीतिगत, नियामकीय और संस्थागत सुधारों को अपनाने के साथ एक विश्वसनीय सूचना तंत्र का निर्माण और नियामक संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों तथा उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच अनुकूलनशीलता के विकास पर विशेष ध्यान देना होगा।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow