भू-जल को भारत में पीने योग्य पानी का सबसे प्रमुख स्रोत माना जाता है। भारत में भू-जल की चिंताजनक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताएं कि इस समस्या से निपटने में अटल भू-जल योजना किस प्रकार कारगर सिद्ध हो सकती है?
17 Oct, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल
हल करने का दृष्टिकोण-
|
भारत में जल उपलब्धता व उपयोग के कुछ तथ्यों पर विचार करें तो भारत में वैश्विक ताज़े जल स्रोत का मात्र 4 प्रतिशत मौजूद है जिससे वैश्विक जनसंख्या के 18 प्रतिशत हिस्से को जल उपलब्ध कराना होता है।
भूमिगत जल के प्रबंधन का कोई प्रभावी विनियमन मौजूद नहीं है। सिंचाई के लिये सस्ती अथवा निःशुल्क विद्युत आपूर्ति की नीति ने भू-जल के उपयोग के संबंध में एक अव्यवस्था को जन्म दिया है।
समग्र स्थिति यह है कि 256 ज़िलों के 1,592 प्रखंड भूजल के संकटपूर्ण अथवा अति-अवशोषित स्थिति में पहुँच गए हैं। पंजाब जैसे क्षेत्रों में भौम जल स्तर में प्रतिवर्ष 1 मीटर तक की कमी आ रही है और यह प्रक्रिया लगभग दो दशकों से जारी है। पंजाब के लगभग 80 प्रतिशत प्रखंड भूजल के संकटपूर्ण अथवा अति-अवशोषित स्थिति में पहुँच चुके हैं। यह परिदृश्य हमारी असावधानी और अदूरदर्शिता को प्रकट करता है, साथ ही इस तरह हम आने वाली पीढ़ियों के जल अधिकारों का भी हनन कर रहे हैं।
पारंपरिक रूप से लगभग सौ वर्ष पहले गन्ने की खेती के केंद्र पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार हुआ करते थे, जबकि धान की खेती मुख्यतः पूर्वी व दक्षिणी भारत में होती थी जहाँ पर्याप्त वर्षा होती थी और जल की प्रचुरता थी। नई प्रौद्योगिकी एवं वाणिज्यिक लाभ के चलते महाराष्ट्र जहाँ अपेक्षा कृत कम वर्षा होती है, जैसे स्थानों में भी वर्षा गहन खेती की जाने लगी है।
उपर्युक्त परिस्थितियों को देखते हुए जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने अटल भू-जल योजना के माध्यम से देश में भू-जल संसाधनों की दीर्घकालीन निरंतरता सुनिश्चित करने के लिये एक अग्रणीय पहल की है, जिसमें विभिन्न भू-आकृतिक, जलवायु संबंधी, जल भू-वैज्ञानिक और सांस्कृतिक स्थिति के पहलुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 7 राज्यों में पहचान किये गए भू-जल की कमी वाले प्रखंडों में ‘टॉप-डाउन’ और ‘बॉटम अप’ का मिश्रण अपनाया गया है। अटल जल को भागीदारी भू-जल प्रबंधन तथा निरंतर भू-जल संसाधन प्रबंधन के लिये समुदाय स्तर पर व्यवहार्य परिवर्तन लाने के लिये संस्थागत ढाँचे को मजबूत बनाने के मुख्य उद्देश्य के साथ तैयार किया गया है।
अटल जल के दो प्रमुख घटक हैं–
राज्यों में स्थायी भू-जल प्रबंधन के लिये संस्थागत प्रबंधनों को मजबूत बनाने के लिये नेटवर्क निगरानी और क्षमता निर्माण में सुधार तथा जल उपयोगकर्त्ता समूहों को मजबूत बनाना। इसके अलावा डेटा विस्तार, जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना, मौजूदा योजनाओं के समन्वय के माध्यम से प्रबंधन प्रयासों को लागू करना।
मांग पक्ष प्रबंधन प्रक्रियाओं को अपनाने के लिये राज्यों को प्रोत्साहन देने हेतु घटक-
विभिन्न स्तरों पर हितधारकों के क्षमता निर्माण तथा भू-जल निगरानी नेटवर्क में सुधार के लिये संस्थागत मज़बूती से भू-जल डेटा भंडारण, विनिमय, विश्लेषण और विस्तार को बढ़ावा देना।
उन्नत और वास्तविक जल प्रबंधन से संबंधित उन्नत डेटाबेस तथा पंचायत स्तर पर समुदायिक नेतृत्व के तहत जल सुरक्षा योजनाओं को तैयार करना।
भारत सरकार और राज्य सरकारों की विभिन्न मौजूदा और नई योजनाओं के समन्वय के माध्यम से जल सुरक्षा योजनाओं को लागू करना, ताकि सतत् भू-जल प्रबंधन के लिये निधियों के न्यायसंगत और प्रभावी उपयोग में मदद मिल सके।
सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधता, विद्युत फीडर विलगन आदि जैसे मांग पक्ष के उपायों पर ध्यान देते हुए उपलब्ध भू-जल संसाधनों का उचित उपयोग करना।
निष्कर्षतः गिरते जलस्तर को देखते हुए यह एक सराहनीय पहल है आवश्कता जान भागीदारी तथा प्रभावी कार्यान्वयन द्वारा इसे लागू कर सभी को लाभान्वित करने की है।