भारत के ऊर्जा क्षेत्र का प्रशासन काफी जटिल है और यह इस क्षेत्र के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है। देश में ऊर्जा से संबंधित विभिन्न मंत्रालयों और विनियामकों का एकीकरण क्यों आवश्यक है?इस क्षेत्र में एक एकीकृत व्यवस्था के लाभों पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• भूमिका
• एकीकृत व्यवस्था की स्थापना की आवश्यकता के बिंदु
• लाभ
• निष्कर्ष
|
भारत, अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया में ऊर्जा का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। कुछ विशषज्ञों का मानना है कि भारत के ऊर्जा क्षेत्र की प्रशासन व्यवस्था काफी जटिल है और यह भारत में ऊर्जा क्षेत्र के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकती है। ऐसे में एक एकीकृत व्यवस्था की आवश्यकता है।
वर्तमान में भारत के ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिये देश में 5 अलग-अलग मंत्रालय और विभिन्न नियामक संस्थाएँ मौजूद हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा के लिये देश में अलग-अलग मंत्रालय या विभाग मौजूद हैं। साथ ही प्रत्येक प्रकार के ईंधन और ऊर्जा स्रोत के लिये अलग-अलग नियामकों की उपस्थिति इस क्षेत्र में कार्य को और अधिक जटिल बनाती है।
एकीकृत व्यवस्था की स्थापना की आवश्यकता के बिंदु-
- ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत प्रत्येक मंत्रालय और विभाग के अपने-अपने लक्ष्य एवं प्राथमिकताएँ हैं और वे सिर्फ उन्हीं लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिसके कारण ऊर्जा क्षेत्र के विकास हेतु निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में कठिनाई पैदा होती है।
- देश के ऊर्जा क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिये मौजूदा मंत्रालयों और विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करना अपेक्षाकृत काफी कठिन कार्य है।
- ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित समग्र आँकड़ों का एकत्रीकरण भी एक बड़ी समस्या है। भारत में कोई भी एकल एजेंसी संपूर्ण और एकीकृत रूप से ऊर्जा क्षेत्र का डेटा एकत्र नहीं करती है। जहाँ एक ओर ऊर्जा के उपभोग से संबंधित आँकड़े मुश्किल से ही उपलब्ध हो पाते हैं, वहीं विभिन्न मंत्रालयों द्वारा एकत्रित पूर्ति पक्ष के आँकड़े भी काफी हद तक शक के दायरे में रहते हैं।
लाभ-
- एकीकृत ऊर्जा मंत्रालय भारत को ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और पहुँच के लक्ष्यों को पूरा करने हेतु सीमित संसाधनों का इष्टतम प्रयोग करने में सक्षम बनाएगा। वर्तमान व्यवस्था के तहत अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के कारण उपलब्ध सीमित संसाधनों का यथासंभव प्रयोग नहीं हो पाता है और संसाधन बर्बाद हो जाते हैं।
- एकीकरण का एक अन्य लाभ यह होगा कि इसके परिणामस्वरूप देश के समग्र ऊर्जा क्षेत्र के विकास हेतु महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी।
- मौजूदा मंत्रालयों और विभागों के मध्य समन्वय के अभाव में एक एकीकृत और संपूर्ण ऊर्जा नीति का निर्माण जटिल एवं चुनौतीपूर्ण कार्य बन गया है, जो कि इस देश के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ी बाधा बन सकता है। इस समस्या से मंत्रालयों के एकीकरण के माध्यम से निपटा जा सकता है।
- मंत्रालयों और विभागों के एकीकरण के माध्यम से ऊर्जा की मांग और पूर्ति के उच्च गुणवत्ता वाले आँकड़े उपलब्ध हो सकेंगे, जिनके माध्यम से देश के ऊर्जा क्षेत्र की सही स्थिति जानने और उसी के अनुसार, नीतियों का निर्माण करने में मदद मिलेगी।
हालाँकि सरकार ऊर्जा क्षेत्र को एकीकृत करने की दिशा में यथासंभव प्रयास कर रही है, परंतु अभी भी कई सुधार बाकी है।
एकीकृत ऊर्जा मंत्रालय भारत को विश्व के साथ ऊर्जा क्षेत्र में हो रहे परिवर्तनों के मद्देनज़र कदम-से-कदम मिलाकर चलने में भी मदद करेगा।