भारत और अफ्रीका के संबंधो का एक दीर्घ और समृद्ध इतिहास रहा है, दोनों देशों के मध्य आपसी सहयोग के क्षेत्रों का उल्लेख कीजिये। साथ ही उन उपायों पर प्रकाश डालें जो दोनों देशों के संबंधों को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
• भूमिका
• आपसी सहयोग के बिंदु
• बेहतर बनाने के उपाय
• निष्कर्ष
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भारत और अफ्रीका के बीच अनुक्रियाओं का एक दीर्घ और समृद्ध इतिहास रहा है जिसमें दक्षिण-दक्षिण सहयोग पर आधारित सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक विनिमय उल्लेखनीय हैं। हाल के वर्षों में इन सबंधों को आगे बढ़ाने और मजबूत करने के लिये कई कदम उठाए गए हैं।
भारत का अफ्रीकी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना कोई नई बात नहीं है। पिछले 3-4 दशकों से भारत ने इस महाद्वीप के साथ सक्रिय रूप से कार्य किया है। हालाँकि, पिछले दशक से इसमें और तेज़ी आई है और साथ ही कुछ वर्षों में इस संबंध में कई गुना वृद्धि देखी गई है। रणनीतिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से अफ्रीका भारत के लिये महत्त्वपूर्ण रहा है।
भारत जापान के साथ एशिया-अफ्रीका गलियारे जैसे त्रिपक्षीय साझेदारी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और मुखर होकर बॉटम-अप साझेदारी दृष्टिकोण को अपना रहा है। इस प्रकार भारत ने अफ्रीकी लोगों में आत्मविश्वास उत्पन्न किया है।
भारत-अफ्रीका के मध्य सहयोग के क्षेत्र-
- आर्थिक एवं व्यापारिक संबंध- भारत व अफ्रीकी संबंधों के प्रारंभिक दशकों में दोनों के मध्य व्यापार लगभग नगण्य था लेकिन वर्तमान में यह 65 बिलियन डॉलर का स्तर पार कर चुका है। भारत और अफ्रीकी संघ के देश मिलकर विश्व जनसंख्या का लगभग एक तिहाई हैं, अतः एक-दूसरे का ध्यान रखते हुए सहयोग करना और आगे बढ़ना लाभकारी है। भारत का व्यवसाय और उद्यम इसकी स्थिति बदलते रहे हैं और वर्तमान में अफ्रीका में बड़ी संख्या में भारतीय कंपनियाँ मौजूद हैं। अतः वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों के बाद राष्ट्र निर्माण का भाव परिवर्तित हो चुका है और भारतीय उद्यम काफी प्रभावशाली और बहुराष्ट्रीय हो गए हैं। भारत को यूरेनियम, सोना, प्लूटोनियम, कॉपर आदि जैसे कच्चे माल की आवश्यकता है जिसे अफ्रीका से मंगाया जा सकता है और इसके बदले भारत उन्हें तैयार उत्पाद दे सकता है।
- सुरक्षा-भारत और अफ्रीकी राष्ट्रों- दोनों द्वारा सुरक्षा आवश्यकताओं पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिये और प्रशिक्षण मामले में दोनों एक-दूसरे की सहायता कर सकते हैं।
- आतंकवाद रोधी और समुद्री डकैती रोधी गठबंधन द्वारा समुद्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिये समुद्री सुरक्षा को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। आतंकवादी संपर्क के कारण सुरक्षा संबंध लगातार महत्त्वपूर्ण बने हुए हैं।
- भारत और अफ्रीका के सामान्य हित के क्षेत्र, जैसे- सुरक्षा के क्षेत्र के रूप में हिंद महासागर और आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर और ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
- कृषि क्षेत्र में सहयोग अत्यधिक संभावना है क्योंकि कई अफ्रीकी देशों में बड़ी मात्रा में अप्रयुक्त कृषि भूमि है। इसमें उद्यम करने पर खाद्य सुरक्षा मुद्दे को हल किया जा सकता है। इस क्षेत्र की भारत के साथ पूरकता है क्योंकि हमारे पास कृषि उत्पादन में दक्ष जनसंख्या, एक बड़ा बाजार और प्रोसेसिंग क्षमता है।
संबंधों को बेहतर करने में सहायक उपाय-
- विविधता पर ध्यान देना: प्रत्येक राष्ट्र की वैयक्तिकता का भिन्न तरीके से ध्यान रखकर , क्योंकि अफ्रीका एक एकल राजनीतिक इकाई नहीं है और यहाँ काफी विविधता है।
- सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करके: सभ्यता संबंधी एवं ऐतिहासिक संबंधों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ने पर, क्योंकि संबंधों को और आगे ले जाने के लिये विश्वास और आत्मविश्वास ज़रूरी हैं।
- आकांक्षापूर्ण अर्थव्यवस्थाओं के लिये समर्थन: आकांक्षापूर्ण अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएँ जो भारत के समान स्तर पर आना चाहती हैं, उन्हें समर्थन प्रदान कर (एजेंडा 2063)।
- संवृद्धि और विकास: आर्थिक संवृद्धि, आर्थिक एवं औद्योगिक साझेदारी पर ध्यान केन्द्रित कर, पहले से परिकल्पित परियोजनाओं पर साथ कार्य करने के लिये सहक्रिया खोजना और चालू योजनाओं पर उन्हें लागू करना।
- सुरक्षा: विवाद का भाव पैदा किये बिना अपने स्वयं के सुरक्षा हितों को सावधानी से व्यवस्थित करना। ऐसा न करने पर यह एक नाजुक स्थिति बन सकती है तथा और अधिक असुरक्षा को जन्म दे सकती है। अतः उस प्रकार के संपर्कों पर कार्य करना, विश्वास को मजबूत करना और भावी फ़ायदों के लिये कार्य करना।
निष्कर्षतःभारत और अफ्रीका को एक मज़बूत आधार बनाने की आवश्यकता है जो पहले से ही विद्यमान है तथा सतत तरीके से और अधिक कूटनीतिक मिशन स्थापित करने और अधिक व्यापार मिशन, लगातार उच्चस्तरीय अनुबंध हेतु कार्य करना चाहिये, जिसमें शिखर स्तर पर संपर्क भी शामिल है।