- फ़िल्टर करें :
- राजव्यवस्था
- अंतर्राष्ट्रीय संबंध
- सामाजिक न्याय
-
प्रश्न :
क्या कारण है कि अमेरिका और ईरान के मध्य तनाव में लगातार वृद्धि हो रही है? दोनों देशों के मध्य किसी भी प्रकार का संघर्ष न केवल मध्य-पूर्व बल्कि भारत के आर्थिक व सामरिक हितों को भी प्रभावित करेगा। टिप्पणी करें।
22 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• दोनों देशों के मध्य तनाव के कारण
• पश्चिम एशिया पर पड़ने वाला प्रभाव
• भारत पर प्रभाव
• निष्कर्ष
संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2020 के प्रारंभ में ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख और ईरानी सेना के शीर्ष अधिकारी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी सहित सेना के कई अन्य अधिकारियों को बगदाद हवाई अड्डे के बाहर हवाई हमले में मार गिराया था। इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया । जहां अमेरिका ने इसे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज से उठाया गया कदम बताया वहीं ईरान ने इसे युद्ध का कारण माना । इस घटना के पाँच माह बाद ईरान के एक न्यायालय ने ईरानी सेना के शीर्ष अधिकारी की हत्या करने व ईरान में आतंकवादी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत 30 अन्य लोगों को गिरफ्तार करने का आदेश ज़ारी किया है। इसके साथ ही अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिये इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस
जारी करने की भी माँग की गई है। इस प्रकार दोनों देशों के मध्य तनाव बढ़ रहा है।
पश्चिम एशिया पर पड़ने वाला प्रभाव -
यदि यह तनाव सैन्य संघर्ष में तब्दील हो जाता है तो इस तनाव का सबसे अधिक प्रभाव पश्चिम एशिया पर पड़ने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की सोच सीमित सैनिक संघर्ष के माध्यम से ईरान से अपनी मांगे मनवाने की है जो कि भ्रामक है। यदि अमेरिका, ईरान पर कार्यवाही करता है तो संभव है कि ईरान भी जवाबी कार्यवाही करेगा। यदि ईरान भी सैन्य कार्यवाही करता है तो वह अमेरिकी सहयोगियों जैसे- सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात तथा इसराइल में स्थित अमेरिका के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएगा। जिससे पूरा खाड़ी क्षेत्र व पश्चिम एशिया संघर्ष का मैदान बन सकता है। इसके साथ ही यदि ईरान होर्मुज़ जलसंधि को भी बाधित करने का प्रयास करता है, तो खाड़ी देशों पर निर्भर कई देशों में तेल का संकट गंभीर रूप ले सकता है।
भारत पर प्रभाव -
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है, जो कच्चे तेल की अपनी 80 प्रतिशत से अधिक और प्राकृतिक गैस की 40 प्रतिशत ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर रहता है। हालाँकि भारत लगातार तेल सुरक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है, परंतु विगत कुछ वर्षों में देश का घरेलू तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादन काफी धीमा रहा है, जिससे देश और अधिक आयात पर निर्भर हो गया है। ऐसे में तेल बाज़ार को प्रभावित करने वाला कोई भी घटनाक्रम भारत पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
- भारत के समक्ष एक राजनयिक चुनौती भी उत्पन्न हो गई है, क्योंकि भारत कभी नहीं चाहेगा कि उसे विश्व के दो महत्त्वपूर्ण देशों में से किसी एक का चुनाव करना पड़े। जहाँ एक ओर भारत अमेरिका जैसी बड़ी शक्ति के साथ अपने संबंधों को खराब नहीं करना चाहेगा, वहीं ईरान भी पश्चिमी एशिया में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभर रहा है। इसके अतिरिक्त अफगानिस्तान तक पहुँचने के लिये भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह विकसित कर रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में अशांति का माहौल भारत के हितों को प्रभावित कर सकता है।
- अमेरिका और ईरान के बीच चल रहे तनाव के कारण इन क्षेत्रों में रहने वाले भारतीयों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा क्योंकि कोई भी तनावपूर्ण परिस्थिति उनके जीवन को जोखिम में डाल सकती है।
इसके अलावा खाड़ी देशों में रह रहे भारतीय अपने सगे-संबंधियों को करीब प्रतिवर्ष लगभग 40 अरब डालर की मुद्रा रेमिटेंसेस के रूप में भेजते हैं। यदि मध्य-पूर्व में किसी भी प्रकार का संघर्ष होता है तो भारत को इसका आर्थिक खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। निष्कर्षतः इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का तनाव भारत तथा मध्य पूर्व को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print