“जल संकट से उबरने के लिये केंद्र सरकार गाँव के स्तर पर वर्षाजल के संग्रह, संचय, संरक्षण और प्रबंधन को प्राथमिकता दे रही है।” इस संदर्भ में मनरेगा की भूमिका की चर्चा कीजिये।
14 Aug, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा
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इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारा देश गंभीर जल संकट से गुज़र रहा है। इस संकट से उबरने के लिये हाल के वर्षों में भारत सरकार ने गाँव के स्तर पर वर्षाजल के संग्रह, संचय, संरक्षण और प्रबंधन को प्राथमिकता दी है और धनराशि का समुचित आवंटन कर इसे बल और गति भी दे रही है।
इस दिशा में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत पिछले तीन वर्षों से टिकाऊ जल संरक्षण संपत्तियों के निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। मनरेगा के तहत जल संरक्षण के ज़रिये पिछले तीन वर्षों में 143 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को लाभ पहुँचा है।
आर्थिक वृद्धि अध्ययन संस्थान और सामाजिक विकास परिषद के अध्ययन में बताया गया है कि उत्पादकता, क्षेत्रफल, आय और जल-स्तर में सुधार हुआ है। मनरेगा के तहत प्रत्येक राज्य ने अपनी आवश्यकता के अनुसार जल संरक्षण कार्य किया है। देश भर में 2156 नदी जल संरक्षण की योजनाएँ बनाई गई हैं। जलाशयों के पुनर्जीवन के लिये कई महत्त्वपूर्ण कार्य किये गए हैं और नए तालाबों का निर्माण किया जा रहा है। प्रत्येक राज्य में जल संरक्षण के लिये जन आंदोलन हेतु लोग आगे आ रहे हैं। राजस्थान, झारखंड, गुजरात, छतीसगढ़, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, तेलंगाना ओडिशा, पश्चिम-बंगाल, सिक्किम, महाराष्ट्र में टिकाऊ जल संरक्षण संपत्ति सुनिश्चित करने के लिये स्थानीय आवश्यकता के अनुसार प्रयास किये गए हैं ताकि वंचित वर्गों और छोटे किसानों का कल्याण हो सके। इन प्रयासों से 15 लाख से अधिक तालाबों का निर्माण हो चुका है। इसके अलावा बड़ी संख्या में कुओं, सामुदायिक जलाशयों और बांधों का निर्माण भी किया जा रहा है और साथ ही, निर्मित की जा रही प्रत्येक संपत्ति को जियोटैग भी प्रदान किया जा रहा है।
मनरेगा के अंतर्गत पारदर्शिता, तकनीकी रूप से ठोस योजना और उसके क्रियान्वयन तथा समय पर वेतन भुगतान पर ध्यान केंद्रित कर जल संरक्षण पर बल देने से गाँवों में बड़ी संख्या में लोगों के जीवन और उनकी आजीविका में भी सकारात्मक परिवर्तन देखा जा रहा है।