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प्रश्न :
'गैर-सरकारी संगठनों की उपस्थिति नागरिकों की आवाज को अभिव्यक्ति देकर सहभागी लोकतंत्र को सक्षम बनाती है।' टिप्पणी करें।
19 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• भूमिका
• गैर-सरकारी संगठन,संक्षिप्त परिचय
• गैर सरकारी संगठनों की भूमिका
• आलोचना के पक्ष
• निष्कर्ष
गैर-सरकारी संगठन विकास योजनाओं के योजनाकारों और कार्यान्वयन के रूप में कार्य करते हैं। वे विकास के लिए उपयोग किए जाने वाले स्थानीय संसाधनों को एकत्रित करने में सहायता करते हैं। साथ ही एक आत्मनिर्भर और टिकाऊ समाज बनाने में सहायता प्रदान करते हैं। ये लोगों के बीच मध्यस्थ की भूमिका भी निभाते हैं। ये गैर लाभकारी होते हैं तथा किसी सार्वजनिक उद्देश्य को लक्षित होते हैं।
किसी गैर-सरकारी संस्था को विदेश से धन प्राप्त करने के लिये एफसीआरए, 2010 के अंतर्गत पंजीकृत होना पड़ता है या पूर्व अनुमति लेनी होती है। भारत में गैर-सरकारी संगठनों की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिये कोई एक विशेष कानून अथवा कोई शीर्ष संगठन नहीं है।
गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओ के तहत समझा जा सकता है-
- इन संगठनों की उपस्थिति नागरिकों की आवाज को अभिव्यक्ति देकर सहभागी लोकतंत्र को सक्षम बनाती है।
- ये निम्नलिखित माध्यमों से जनता और सरकार के बीच प्रभावी गैर-राजनीतिक कड़ी के रूप में कार्य करते हैं-
- परामर्श और रणनीतिक सहयोग, जहाँ सरकार द्वारा गठित कमिटियों, टास्क फोर्स और सलाहकार पैनल में गैर सरकारी संगठनों को शामिल कर उनकी विशेषज्ञता का उपयोग किया जाता है।
- जागरूकता फैलाने, सामाजिक एकजुटता, सेवा वितरण, प्रशिक्षण, अध्ययन व अनुसंधान एवं सार्वजनिक अपेक्षा को स्वर देने में ये सहयोग करते हैं। सरकार के प्रदर्शन पर संवाद व निगरानी द्वारा वे राजनीतिक जवाबदेही सुनिश्चित कराते हैं।
- भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार या मनरेगा और सबसे महत्त्वपूर्ण सूचना का अधिकार जैसे कई प्रमुख विधेयक गैर सरकारी संगठनों के हस्तक्षेप से ही पारित हुए।
उपरोक्त के अतिरिक्त एक पक्ष यह भी है कि गैर-सरकारी संगठनों को प्राप्त विदेशी धन धार्मिक गतिविधियों तथा अन्य राष्ट्र विरोधी संदिग्ध गतिविधियों पर भी खर्च होने की आशंका जाहिर की गई है।
किन्तु समग्रता में देखें तो गैर-सरकारी संगठन समुदायों को सबल बनाते हैं, इसलिये उनके दमन की नहीं बल्कि उन्हें समर्थन देने की आवश्यकता है। सरकार और गैर-सरकारी संस्थाओं को भागीदार के रूप में कार्य करना चाहिये और साझा लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये पूरक की भूमिका निभानी चाहिये जो परस्पर विश्वास व सम्मान के मूल सिद्धांत पर आधारित हो और साझा उत्तरदायित्व व अधिकार रखता हो।
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