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प्रश्न :
'जिस प्रकार की विविधता, कलात्मकता तथा गुणवत्ता हमें गुप्तकालीन सिक्कों में देखने को मिलती है बाद के कालों में उसका अभाव देखने को मिलता है।' स्पष्ट करें।
19 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• कथन के पक्ष में तर्क
• उदाहरण
• निष्कर्ष
सिक्कों में प्रयुक्त धातु, सिक्के का आकार तथा स्वरूप, सिक्कों की माप, निर्माण विधि सिक्काशास्त्रीय कला के विभिन्न पहलू हैं। चूँकि सिक्के किसी काल की आर्थिक स्थिति के साथ संस्कृतिक और राजनीतिक दशाओं के भी साक्षी होते हैं। अत: इतिहास लेखन में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है।
गुप्ताकालीन राजाओं ने सोने-चांदी-तांबे तथा अन्य धातुओं के विभिन्न आकार प्रकार के सिक्के चलाए जिनमें राजा-रानी प्रकार, धनुर्धर राजा तथा वीणावादन करते हुए राजा की आकृतियां अंकित कराई। इन सिक्कों पर हिंदू पौराण्कि पंरपरओं को भी दर्शाया गया। सिक्कों पर उत्कीर्ण किवदंतियाँ इस काल की कलात्मक उत्कृष्टता का उदाहरण हैं।
किंतु दूसरा पक्ष यह भी है कि गुप्तोत्तर काल में जहाँ एक ओर सिक्कों के उपयोग में कमी आई। वहीं इनमें नैतिकता तथा कलात्मकता का अभाव भी देखने को मिलता है। माप में भी गुप्तकालीन सिक्कों की अपेक्षा बाद के काल में सिक्कों में गिरावट देखने को मिलती है। मुद्राओं में निर्गत करने वाले राजाओं के नाम का भी उल्लेख नहीं मिलता हैं व्यापार में गिरावट के साथ ही निम्न कोटि की मिश्रधातु के बने सिक्कों का प्रचलन वदा।
निष्कर्षतः जिस प्रकार की विविधता कलात्मकता तथा गुणवत्ता हमें गुप्तकालीन सिक्कों में देखने को तथा गुणवत्ता हमें गुप्तकालीन सिक्कों में देखने को मिलती है बाद के कालों मे उसका अभाव देखने को मिलता है।
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