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प्रश्न :
वैश्विक स्तर पर अन्य देशों की तुलना में रूस के साथ भारत के संबंध करीबी और बेहद मज़बूत रहे हैं। वर्तमान में भारत तथा चीन के मध्य तनाव की स्थितियों को देखते हुए भारत के लिये रूसी सहयोग के महत्त्व पर चर्चा करें।
18 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• भूमिका
• भारत रूस संबंध
• भारत के लिये रूसी सहयोग का महत्त्व
• निष्कर्ष
वैश्विक स्तर पर अन्य देशों की तुलना में रूस के साथ भारत के संबंध करीबी और बेहद मज़बूत रहे हैं। भारत और रूस ऐतिहासिक रूप से रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों में एक दूसरे से जुड़े रहे हैं। हाल ही में रूसी रक्षा मंत्रालय के निमंत्रण पर भारतीय रक्षा मंत्री द्वितीय विश्व युद्ध की 75वीं विजय दिवस परेड में शामिल होने के लिये मास्को पहुँचे थे। भारतीय रक्षा मंत्री ने अपनी तीन दिवसीय रूस यात्रा के दौरान भारत और रूस के संबंधों को ‘विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी’ बताया तथा दोनों देशों के बीच वर्तमान द्विपक्षीय रक्षा अनुबंधों को जारी रखते हुए शीघ्र ही कई अन्य क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मज़बूत करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।
भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों की मज़बूती आधार बड़े पैमाने पर दोनों देशों के हितों में समानता, परस्पर विश्वास का लंबा इतिहास और अधिकांश मामलों में टकराव या तनाव का अभाव है। रूस के लिये भारत को रक्षा तकनीकी के निर्यात कुछ अन्य देशों (जैसे- चीन आदि) की तुलना में विश्वसनीय और चुनौतियों से मुक्त रहा है।
भारत के लिये रूसी सहयोग का महत्त्व:
- भारतीय नौसेना की शक्ति और इसकी तकनीकी क्षमता को बढ़ाने में रूस का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
- ध्यातव्य है कि वर्तमान में भारत को रूस द्वारा परमाणु-पनडुब्बी ‘INS चक्र प्रदान की गई है, साथ ही निकट भविष्य में रूस द्वारा भारत को एक अन्य परमाणु-पनडुब्बी के दिए जाने की संभावना है।
- देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में भारत को प्रारंभ से ही रूस का सहयोग मिलता रहा है और वर्तमान में भी भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
- भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना में भी रूस का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।
- रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष आदि जैसे महत्त्वपूर्ण और रणनीतिक क्षेत्रों में रूस की क्षमता तथा अनुभव भारत के लिये बहुत ही मददगार रहा है।
- ब्रह्मोस मिसाइल, M-46 बंदूक का उन्नयन आदि रक्षा क्षेत्र में भारत-रूस के मज़बूत संबंधों के प्रमुख उदाहरण हैं।
वर्तमान में चीन तथा भारत के मध्य बढ़ते तनावों को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत रूस के मध्य सहयोग को और अधिक मजबूत किया जाए। भारत-रूस द्विपक्षीय सहयोग की प्रक्रिया के अगले चरण के तहत रूसी उत्पादकों को भारत में निवेश करने और संयुक्त उपक्रमों की स्थापना जैसे प्रयासों को बढ़ाने के हेतु प्रेरित किया जाना चाहिये, जिससे भविष्य में भारतीय रक्षा क्षेत्र की ज़रूरतों को स्थानीय उत्पादकों से पूरा करते हुए लागत, परिवहन, सीमा-शुल्क जैसी समस्याओं को कम किया जा सके।
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