महादेवी वर्मा और रामवृक्ष बेनीपुरी के रेखाचित्र हिन्दी के रेखाचित्र साहित्य के सशक्त उदाहरण हैं। चर्चा कीजिये।
12 Sep, 2020 रिवीज़न टेस्ट्स हिंदी साहित्य
हल करने का दृष्टिकोण: • भूमिका • महादेवी वर्मा का रेखाचित्र साहित्य में योगदान • रामवृक्ष बेनीपुरी का रेखाचित्र साहित्य में योगदान • निष्कर्ष |
हिन्दी रेखाचित्र की विकास यात्रा को प्रौढ़ता प्रदान करने में जिन दो साहित्यकारों का सर्वाधिक योगदान है वे महादेवी वर्मा और रामवृक्ष बेनीपुरी हैं। इन दोनों रचनाकारों ने यह काम रेखाचित्रों की परिमाण गत विपुलता के कारण नहीं बल्कि संवेदनात्मक एवं कलावत गहराई के कारण किया है।
महादेवी वर्मा के प्रमुख रेखाचित्र संग्रह है- 'अतीत के चलचित्र', 'स्मृति की रेखाएँ', 'पथ के साथी' और 'मेरा परिवार'। अपने इन संस्मरणात्मक रेखाचित्रों में महादेवी वर्मा ने अपने संपर्क में आने वाले शोषित व्यक्तियों दीन-हीन नारियों, साहित्यकारों, जीव-जंतुओं आदि का संवेदनात्मक चित्रण किया है। उनके रेखाचित्रों में बिंबात्मकता और सूक्तिमयता है। ये रेखा चित्र महादेवी वर्मा की असाधारण प्रतिभा, संयम एवं कलात्मक परिष्कार के द्योतक हैं।
हिन्दी के अप्रतिम गद्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी का हिन्दी रेखाचित्र के विकास में अतुलनीय योगदान है। अपने रेखा चित्र संग्रह- 'लाल तारा', 'माटी की मूरतें', 'गेहूँ और गुलाब', 'मील के पत्थर' आदि के माध्यम से उन्होंने हिन्दी रेखाचित्र को संवेदनात्मक एवं वैचारिक गहराई तथा शिल्पगत उत्कर्ष प्रदान करने का काम किया।
'माटी की मूरतें' में उन्होंने गाँव के परिचितों के आत्मीय चित्र खींचे हैं। इस संग्रह के 'रजिया', 'बलदेव सिंह', 'सुभान खाँ' आदि रेखाचित्रों में अनुभूतिप्रवण आत्मीयता, स्मृतियों के माधुर्य, जीवन की तिक्तता आदि को अत्यंत सजीव भाषा में प्राणवान बनाया है।
'गेहूँ और गुलाब' के रेखाचित्र भौतिकता और आध्यात्मिकता के समन्वय पर बल देते हैं। 'मील के पत्थर' में मुख्यतः साहित्यकारों के रेखाचित्र हैं। यथार्थ के साथ कल्पना और भावुकता का समन्वय, विषय वैविध्य, शब्दों एवं वाक्यों का सहयोग रेखाचित्रों की ऐसी विशेषताएँ हैं जो उन्हें स्मरणीय बना देती हैं। अतः महादेवी वर्मा एवं रामवृक्ष बेनीपुरी के रेखाचित्र हिन्दी के रेखाचित्र साहित्य के सशक्त उदाहरण है।