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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में सरकार द्वारा देश के बीस से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में अपनी हिस्सेदारी बेचने को मंज़ूरी प्रदान की गई है। किन स्थितियों को देखते हुए इसकी मंजूरी प्रदान की गयी। चर्चा करें।

    12 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण-

    • विनिवेश क्या है?

    • वर्तमान में वह कौन सी स्थितियां है जिनके कारण सरकार द्वारा विनिवेश करने का फैसला लिया गया।

    • विश्लेषणात्मक निष्कर्ष।

    स्वतंत्रता के पश्चात प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना की गयी जिनका उद्देश्य प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों में स्थानीय क्षमता का विकास कर अन्य देशों पर भारत की निर्भरता को कम करने के साथ ही क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना और रोज़गार अवसरों का सृजन करना था। हाल में भारतीय अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट को देखते हुए अर्थव्यवस्था को पुनः गति प्रदान करने के लिये विनिवेश की आवश्यकता पर बल दिया गया और सरकार द्वारा देश के बीस से अधिक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) में अपनी हिस्सेदारी बेचने को मंज़ूरी प्रदान की गई है।

    विनिवेश से आशय सरकारी कंपनियों में सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के किसी उपक्रम में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री से है। सरकार राजकोषीय बोझ को कम करने या विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के लिये धन जुटाने हेतु समय-समय पर विनिवेश का विकल्प अपनाती रही है। कुछ मामलों में, सरकारी संपत्ति के निजीकरण के लिये भी विनिवेश किया जा सकता है। हालांकि, सभी विनिवेश निजीकरण नहीं है।

    विनिवेश का कारण:

    प्रतिस्पर्द्धा- वर्तमान में अधिकांश PSUs ऐसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जहाँ निजी क्षेत्र की कंपनियाँ कम लागत में बेहतर कार्य कर रही हैं और PSUs निजी क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धा में पीछे रह गई हैं।

    नवीनीकरण का आभाव- अधिकांश PSUs में समय के साथ तकनीक के नवीनीकरण के अभाव में इनका संचालन भी काफी खर्चीला हो गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की कई अन्य कंपनियों के घाटे के कारण उनमें भूमि के अतिरिक्त बहुत ही कम संपत्ति बची है।

    वर्तमान में BPCL की आर्थिक स्थिति बहुत ही अच्छी है परंतु देश में खनिज तेल के क्षेत्र में स्थानीय और विदेशी निजी कंपनियों की बढ़ती सक्रियता के कारण भविष्य में BPCL के शेयरों में भी गिरवाट आ सकती है।

    विदेशी निवेश की संभावनाएँ और निजीकरण - वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में कई बड़े बदलाव हुए हैं। विशेषकर हाल में अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और COVID-19 की अनिश्चितता के बाद वैश्विक स्तर पर निवेशक ऐसे सहयोगियों के साथ निवेश के लिये इच्छुक है जहाँ प्रगति की संभावना बेहतर हो।

    गौरतलब है कि देश की स्वतंत्रता के पश्चात 1950 और 1960 के दशक के दौरान भारतीय औद्योगिक क्षेत्र के अधिकांश भाग पर PSUs का एकाधिकार रहा। 1990 के दशक के ‘उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण’ मॉडल के तहत देश की अर्थव्यवस्था में उदारीकरण को बढ़ावा दिया गया और 2000 के दशक में भी देश में अर्थव्यवस्था के विश्वीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया।

    इस दौरान देश के व्यापार और जीडीपी अनुपात में वृद्धि देखी गई और पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत निवेश का एक बड़ा बाज़ार बन कर उभरा है।

    निष्कर्षतः विशेषज्ञ भी यह मानते हैं कि विनिवेश PSU स्वामित्व का एक बड़े हिस्से को खुले बाज़ार के लिये उपलब्ध करता है, जो देश में एक मज़बूत पूँजी बाज़ार की स्थापना का अवसर प्रदान करता है। निःसन्देह PSUs में विनिवेश के माध्यम से सरकार को देश की अर्थव्यवस्था पर पड़े COVID-19 के नकारात्मक प्रभावों से उबरने और राजकोषीय घाटे को कम करने में सहायता प्राप्त होगी।

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