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प्रश्न :
हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित राजस्व में गिरावट देखी गयी जिसके कारण सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये वस्तु एवं सेवा कर मुआवज़ा जारी करने की घोषणा की। GST राजस्व में गिरावट के क्या कारण रहें? इस समस्या के समाधान हेतु उचित उपाय सुझाएँ।
10 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• भूमिका
• गिरावट के कारण
• समाधान
• निष्कर्ष
वस्तु एवं सेवा कर 1 जुलाई, 2017 को लागू हुआ था। उल्लेखनीय है कि GST एक अप्रत्यक्ष कर है जिसे भारत को एकीकृत साझा बाज़ार बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया है। यह निर्माता से लेकर उपभोक्ताओं तक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगने वाला एकल कर है।
इस काल के तहत इस बात की गारंटी दी गई है कि GST कार्यान्वयन (2017-2022) के पहले पाँच वर्षों में राजस्व में किसी भी नुकसान की भरपाई को उपकर (Cess) के माध्यम से पूरा किया जाएगा। ऐसे में कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिये वस्तु एवं सेवा कर मुआवज़ा जारी करने की घोषणा की। यदि राजस्व संग्रह एक निश्चित सीमा से नीचे चला जाता है, तो राज्य सरकारों को क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिये फॉर्मूले पर फिर से निर्धारित करने का GST अधिनियम में प्रावधान किया गया है। GST अधिनियम के तहत यदि राज्यों का वास्तविक राजस्व अनुमानित राजस्व से कम संग्रहित होता है, तो इस अंतर की भरपाई की जाएगी।
GST राजस्व में गिरावट के कारण निम्नलिखित हैं-
- देश में COVID-19 के नियंत्रण हेतु लागू लॉकडाउन के कारण औद्योगिक गतिविधियों को पूरी तरह बंद करना पड़ा।
- सार्वजनिक आवाजाही और पर्यटन की गतिविधियों पर रोक से होटल, परिवहन आदि क्षेत्रों से आने वाला राजस्व नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ है।
- हालाँकि लॉकडाउन के दौरान भी लगभग 40 प्रतिशत ‘अतिआवश्यक’ श्रेणी की व्यावसायिक गतिविधियों को चालू रखने की अनुमति दी गई थी, परंतु मज़दूरों के पलायन, आपूर्ति श्रृंखला और परिवहन के प्रभावित होने आदि कारणों से अपेक्षित राजस्व की प्राप्ति नहीं की जा सकी।
- लॉकडाउन के कारण उन राज्यों पर और अधिक प्रभाव पड़ा है जिनकी अर्थव्यवस्था में स्थानीय राजस्व की भूमिका अधिक थी। उदाहरण के लिये गुजरात, तेलंगाना, हरियाणा, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्य जिनका 70% से अधिक राजस्व स्थानीय स्रोतों से प्राप्त होता है, उन्हें लॉकडाउन से सबसे अधिक आर्थिक क्षति हुई है।
- उपरोक्त के अलावा विशेषज्ञों का यह मानना है कि आत्मविश्वास की कमी और भय के कारण निवेशक निवेश करने से कतरा रहे हैं और वैश्विक महामारी के कारण अर्थव्यवस्था की मांग में वृद्धि नहीं हो रही है जिसका स्पष्ट प्रभाव GST राजस्व पर पड़ रहा है।
उपाय-
- केंद्र सरकार के ऊपर राज्यों को राजस्व की भरपाई करने का संवैधानिक उत्तरदायित्व है, आपातकालीन परिस्थितियों में संविधान संशोधन करके पांच वर्ष की समयावधि को तीन वर्ष तक निर्धारित किया जा सकता है।
- केंद्र सरकार उपकर के आधार पर ऋण भी ले सकती है और राज्यों को मुआवज़ा क्षतिपूर्ति देने हेतु पाँच वर्ष की समयावधि को बढ़ाकर सात वर्ष करने पर विचार किया जा सकता है।
- राज्यों को क्षतिपूर्ति के वायदे को पूरा करने के लिये केंद्र द्वारा भविष्य में GST उपकर संग्रहण की गारंटी पर विशेष ऋण लेने के सुझाव पर विचार किया जा सकता है।
निष्कर्षतः केंद्र एवं राज्यों दोनों को महामारी के कारण पैदा हुई कई चुनौतियों से निपटने के लिये नकदी पर स्पष्टता और निश्चितता की आवश्यकता है ताकि महामारी की स्थिति को प्रभावी ढंग से संभाला जा सके। वर्तमान परिदृश्य में देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और सरकार को उन तरीकों के बारे में सोचने की ज़रूरत है जिनके माध्यम से GST संग्रह को बढ़ाया जा सकता है।
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