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प्रश्न :
नई शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा से संबंधित प्रवधानों की चर्चा करते हुए इस नीति को समग्रता में लागू करने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालें।
07 Sep, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण-
• भूमिका
• उच्च शिक्षा से संबंधित प्रवधान
• चुनौतियां
• निष्कर्ष
नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिये ‘एजेंडा 2030’ के अनुकूल है और इसका उद्देश्य 21वीं शताब्दी की आवश्यकताओं के अनुकूल स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और वैश्विक महाशक्ति में बदलकर प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।
नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान निम्नलिखित हैं-
नई शिक्षा नीति -2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
नई शिक्षा नीति-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (1 वर्ष के बाद प्रमाणपत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक ‘एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’ दिया जाएगा, जिससे अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके। नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया।
भारत उच्च शिक्षा आयोग-
चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा।
इसके कार्यों के प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण किया गया है-
विनियमन हेतु- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद, मानक निर्धारण सामान्य शिक्षा परिषद, वित पोषण- उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद इसके अलावा देश में आईआईटी और आईआईएम के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ की स्थापना की जाएगी।
समग्रता से लागू करने की राह में निम्नलिखित चुनौतियों को देखा जा सकता है -
- महँगी शिक्षा: नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया गया है, विभिन्न शिक्षाविदों का मानना है कि विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश से भारतीय शिक्षण व्यवस्था महँगी होने की संभावना है। परिणामस्वरूप निम्न वर्ग के छात्रों के लिये उच्च शिक्षा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
- शिक्षकों का पलायन: विदेशी विश्वविद्यालयों के प्रवेश से भारत के दक्ष शिक्षक भी इन विश्वविद्यालयों में अध्यापन हेतु पलायन कर सकते हैं।
- शिक्षा का संस्कृतिकरण: दक्षिण भारतीय राज्यों का यह आरोप है कि ‘त्रि-भाषा’ सूत्र से सरकार शिक्षा का संस्कृतिकरण करने का प्रयास कर रही है।
उपरोक्त चुनौतियों के बावजूद नवीन शिक्षा नीति शिक्षा में सुधार की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है जो निःसंदेह भविष्य में भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और वैश्विक महाशक्ति में बदलकर प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाने में सक्षम साबित होगी।
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